नाग पंचमी पर यह छोटा सा उपाय आपकी लाइफ में भी ला देगा बड़ा बदलाव
nag panchami 2024 : हर साल सावन शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है। इस साल पंचमी तिथि 8 अगस्त 2024 दिन गुरुवार की रात में 9:56 से शुरू होगी और 9 अगस्त 2024 दिन शुक्रवार की रात में 11:59 तक रहेगी।
हर साल सावन शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है। इस साल पंचमी तिथि 8 अगस्त 2024 दिन गुरुवार की रात में 9:56 से शुरू होगी और 9 अगस्त 2024 दिन शुक्रवार की रात में 11:59 तक रहेगी। इस दिन हस्त नक्षत्र रात में 12:58 तक रहेगा। दिन में 1:25 तक सिद्ध योग, उसके बाद पूरा दिन साध्य योग प्राप्त होगा। इसके अलावा इस दिन अमृत नामक औदायिक योग भी व्याप्त रहेगा। इस कारण से इस दिन की शुभता में वृद्धि होगी और इस दिन नाग देवता के साथ भगवान शिव की विशेष आराधना करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति हो सकती है।
शास्त्रों के अनुसार पंचमी तिथि के देव सर्प यानी नाग देव है । इसलिए हर महीने की पंचमी तिथि को नाग देवता या सर्प दोष की पूजा की जाती है | वैसे तो सावन महीने की हर तिथि को को श्रेष्ठ माना जाता है। इसी कारण से श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रुप में मनाया जाता है। नाग देवता सदा भगवान भोलेनाथ के गले मे विद्यमान रहते है। दत्तात्रेय के 24 वें गुरु नाग देवता ही हैं। उनकी पूजा विशेष रुप से की जाती है , हर सा पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ यह पवित्र पर्व मनाया जाता है | इस दिन नागों की सुरक्षा करने का भी संकल्प लिया जाता है। इस दिन गृह द्वार पर सर्पाकार बनाएं ,जल से अभिषेक करें, घी, गुण चढ़ाएं। ज्योतिषीय दृष्टि से जिस व्यक्ति के जन्म कुण्डली के लग्न भाव से द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, अष्टम, नवम, द्वादश में राहु या केतु हो उनको इस दिन विशेष पूजा करनी चाहिए। तथा इस दिन नाग देवता के पूजन से कुण्डली में विद्यमान सर्प दोष , सहित समस्त ग्रहों की अशुभता को शुभता में परिवर्तित किया जा सकता है | इस दिन रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय, काल सर्प पूजन, आदि किया जाना श्रेयष्कर होता है |
इस दिन नाग देव के 12 नामों का जप लाभदायक होता है।
अनंत । वासुकी । शेष । पदम। कंवल। अश्वतर ।
शंखपाल । धृतराष्ट्र । तक्षक । कालिया । पिंगल ।।
"ॐ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा" इस मंत्र का यथा शक्ति जप करना लाभदायक हो सकता है
पुराणों में नागों को देवता मानने के प्रमाण मिले है :
पुराणों की एक कथा के अनुसार इस दिन नाग जाति का जन्म हुआ था। महाराजा परीक्षित को उनका पुत्र जनमेजय जब तक्षक नाग के काटने से नहीं बचा सका। तब जनमेजय ने सर्प यज्ञ कर तक्षक को अपने सामने पश्चाताप करने के लिये मजबूर कर दिया। तक्षक के द्वारा क्षमा मांगने पर उन्हें क्षमा कर दिया तथा यह कहा गया की श्रावण मास की पंचमी तिथि को जो लोग नाग देवता का पूजन करेंगे उन्हें सर्प दोष से मुक्ति मिलेगी |
नाग देवता की पूजा -उपासना के दिन नागों को दूध नहीं पिलाना चाहिए। यह जानते हुए भी की दूध पिलाने से सर्पो की मृत्यु हो जाती है। ऐसे में उन्हें दूध पिलाने से अपने हाथों से नाग देवता की जान लेने के समान है। इसलिये भूलकर भी ऐसी गलती करने से बचना चाहिए। इससे श्रद्वा व विश्वास के शुभ पर्व पर जीव हत्या करने से बचा जा सकता है। उपासक चाहें तो शिवलिंग को दूध के स्नान करा सकते है।
ज्योतिर्विद् पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि नाग पंचमी के दिन प्रत्येक व्यक्ति को अपनी राशि एवं लग्न के अनुसार प्रति वर्ष कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए जिससे जीवन में सुख सम्पन्नता बढ़ती रहती है ::--
मेष राशि ::-- नीम एवं मदार का
वृष राशि ::-- आम एवं गूलर का
मिथुन राशि ::-आम एवं पीपल का
कर्क राशि ::-- नीम एवं बरगद का
सिंह राशि ::-- नीम एवं आम का
कन्या राशि ::- गूलर एवं आम का
तुला राशि ::-- नीम एवं शमी का
वृश्चिक राशि ::-नीम ,पीपल एवं मदार
धनु राशि ::-- पीपल एवं आम का
मकर राशि ::--शमी एवं गूलर
कुम्भ राशि :--शमी ,पाकड़ एवं बरगद
मीन राशि ::- पीपल ,आम एवं नीम ।
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