मार्गशीर्ष माह में कब-कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत? नोट कर लें डेट और शुभ मुहूर्त
- इस समय मार्गशीर्ष माह चल रहा है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़त है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है।
इस समय मार्गशीर्ष माह चल रहा है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़त है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। प्रदोष व्रत भोले शंकर को ही समर्पित होते हैं। मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त सेलगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। कहा जाता हैकि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से संतान पक्ष को भी लाभ होता है। इस व्रत को करने से भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं मार्गशीर्ष प्रदोष व्रत डेट, महत्व, पूजा-विधि और सामग्री की पूरी लिस्ट....
मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत डेट- 28 नवंबर, गुरुवार को मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। यह प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है।
मुहूर्त-
मार्गशीर्ष, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ - 106:23 ए एम, नवम्बर 28
मार्गशीर्ष, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त - 08:39 ए एम, नवम्बर 29
प्रदोष काल- 05:24 पी एम से 08:06 पी एम
मार्गशीर्ष माह शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत डेट- 13 दिसंबर, शुक्रवार को मार्गशीर्ष माह का दूसरा प्रदोष व्रत रखा जाएगा। यह प्रदोष व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है।
मुहूर्त-
मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ - 10:26 पी एम, दिसम्बर 12
मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त - 07:40 पी एम, दिसम्बर 13
प्रदोष काल- 05:26 पी एम से 07:40 पी एम
पूजा-विधि:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- अगर संभव है तो व्रत करें।
- भगवान भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक करें।
- भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
- इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहलेभगवान गणेश की पूजा की जाती है।
- भगवान शिव को भोग लगाएं।
- भगवान शिव की आरती करें।
- इस दिन भगवान का अधिक सेअधिक ध्यान करें।
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