महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग, नोट कर लें चार प्रहर की पूजा का समय
- 26 फरवरी को होने वाले महाशिवरात्रि पर इस बार ग्रहों के दुर्लभ योग बन रहे हैं। शिव पुराण के मुताबिक ब्रह्मा और विष्णु का विवाद शांत करवाने के लिए भगवान भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे।
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26 फरवरी को होने वाले महाशिवरात्रि पर इस बार ग्रहों के दुर्लभ योग बन रहे हैं। शिव पुराण के मुताबिक ब्रह्मा और विष्णु का विवाद शांत करवाने के लिए भगवान भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। जिस दिन यह घटना हुई थी उस दिन फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि थी। इसी वजह से महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस पर्व पर शिव मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है। ऐसा मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं। इसलिए महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव की उपासना से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि पर यदि भक्त बेलपत्र से भगवान शिव की विशेष पूजा करें तो उनके धन संबंधी दिक्कतें दूर हो जाएगी। आचार्य के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे से होगी तथा इसका समापन 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे होगा। इसलिए महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी को किया जाएगा।
चार प्रहर की पूजा का समय-
प्रथम प्रहर पूजा का समय संध्या 6 :19 से रात्रि के 9:26 तक है। जबकि द्वितीय प्रहार का पूजा रात्रि 9:26 से मध्य रात्रि 12:34 तक है ।वही तृतीय प्रहर पूजा का समय मध्य रात्रि 12:34 बजे से 27 फरवरी प्रातः 3:41 बजे तक है ।जबकि चतुर्थ प्रहर पूजा का समय 27 फरवरी को प्रातः 3:41 बजे से प्रातः 6:48 बजे तक है।
महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की महाशिवरात्रि 26 फरवरी धनिष्ठा नक्षत्र ,परिधि योग शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रही है। इस दिन चार प्रहर की साधना से शिव की कृपा प्राप्त होगी। इस दिन सुबह से ही मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ जमा हो जाती है। शुभ संयोग और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की आराधना करने से उनके भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जप साधक को अवश्य करना चाहिए।
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