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भस्म आरती के बाद महाकाल को बंधी राखी,सवा लाख लड्डुओं का चढ़ा महाभोग,शाम 4 बजे निकलेगी सावन की आखिरी सवारी

  • आज 19 अगस्त को रक्षाबंधन के मौके पर महाकाल मंदिर में भी बड़े हर्षोल्लास के साथ रक्षाबंधन माना गया है।इस पावन मौके पर बाबा महाकाल को भी सबसे पहले राखी बांधी गई और उन्हें महाभोग लगाया जाता है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तानMon, 19 Aug 2024 01:29 PM
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मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकालेश्वर को रक्षाबंधन के पर्व पर सबसे पहले राखी बांधी गई। इसके साथ बाबा महाकालेश्वर की भस्मार्ती में जनेऊ पाती पुजारी परिवार द्वारा बाबा महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का भोग भी लगाया गया। ऐसी मान्यता बताई जाती है कि किसी भी पर्व या त्योहार की शुरुआत बाबा महाकाल से की जाती है। सोमवार अल सुबह महाकाल का प्रथम पूजन पंचामृत पूजन , श्रृंगार के बाद भगवान को भस्म अर्पित की गई। जिसके पश्यात भगवान श्री महाकालेश्वर जी को पुजारी परिवार द्वारा रक्षाबंधन के पावन पर्व पर राखी बांधी गई।

उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन का पर्व सोमवार सुबह भस्म आरती के दौरान मंगल गीत गाते हुए बाबा महाकाल को राखी बांधकर मनाया गया। पुजारी परिवार की महिलाओं ने भगवान महाकाल के लिए करीब सात दिन में तैयार कि गई एक फीट की राखी भगवान महाकाल को बांधी। इसके पहले पुजारी घनश्याम शर्मा द्वारा महाकाल को भोग लगाकर आरती सम्पन्न की गई। इस दौरान भगवान महाकाल को सवा लाख लड्डू का भोग लगाया गया जो श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में बांटा जाएगा। बताया जा रहा है कि बेसन के लड्डू को घी और ड्राय फ्रूट से बनाया गया है।

श्रावण माह के पांचवे सोमवार हुई महाकाल भस्मरती

श्रवण माह के पांचवे सोमवार महाकाल की भस्म आरती की गई, इस दौरान अल सुबह 3 बजे मंदिर के कपाट खोले गए। सबसे पहले सभा मंडप में वीरभद्र जी के कान में स्वस्ति वाचन कर घंटी बजाकर भगवान से आज्ञा लेकर सभा मंडप वाले चांदी के पट खोला गया। भगवान का श्रृंगार उतार कर पंचामृत पूजन के बाद कर्पूर की। इसके बाद नंदी हाल में लगे चांदी के पट खोले गए। नंदी हाल में नंदी जी का स्नान, ध्यान, पूजन किया गया। जल से भगवान महाकाल का अभिषेक करने के पश्चात दूध, दही, घी, शक़्कर शहद फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया गया। भांग चन्दन ड्रायफ्रूट और आभूषणों से बाबा महाकाल का राजा स्वरूप दिव्य श्रृंगार किया गया।

महाकाल को त्रिपुंड, त्रिशूल,चंद्र अर्पित कर चढ़ाई भस्म

भगवान महाकाल को पहले रजत का त्रिपुण्ड, त्रिशूल और चंद्र अर्पित कर भस्म चढ़ाई गई, इसके बाद शेषनाग का रजत मुकुट रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ-साथ सुगन्धित पुष्प से बनी फूलों की माला धारण कराई गई।साथ ही फल और मिष्ठान का भोग लगाया। महा निर्वाणी अखाड़े की और से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गयी। मान्यता है की भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते है।

श्रवण माह के पांचवे सोमवार शाम 4 बजे बाबा महाकाल की निकलेगी पांचवी सवारी

श्रावण, भादौ में निकाली जाने वाली महाकालेश्वर की सवारियों के क्रम में पांचवीं और श्रावण की आखिरी सवारी सोमवार शाम 4 बजे निकाली जाएगी। पांचवीं सवारी में पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव, नंदी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद शामिल रहेगा। सवारी निकलने के पहले महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडपम् में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन-अर्चन किया जाएगा। उसके बाद चंद्रमौलेश्वर पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी जाएगी।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी सवारी में शामिल होंगे

सोमवार शाम 4 बजे निकलने वाली महाकाल की पांचवी सवारी में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी शामिल होंगे ओर महाकाल मंदिर के सभा मंडप में भगवान का पूजन अर्चन करंगे,बताया जा रहा है कि बाबा महाकाल की सवारी में पहली बार सीआरपीएफ का 50 सदस्यीय बेंड शिव स्तुति करता दिखाई देगा। इस दौरान जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से गौंड जनजातीय करमा सैला नृत्य दल पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए शामिल रहेगा।

श्रवण माह के पांचवे सोमवार श्रद्धालुओ का लगा तांता

मंदिर पुजारी के अनुसार बताया जा रहा है कि इस बार श्रवण माह का अजब संयोग रहा है इसकी शुरुआत सोमवार को हुई थी और इसका समापन भी सोमवार को हो रहा है। 5 सोमवार को महाकाल मंदिर में भक्तों का पता लग रहा है जहां चलित भस्म आरती में 30 हज़ार से अधिक भक्तों ने बाबा महाकाल की भस्मरती को देखा और महाकाल के जयकारे लगाए।

महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष शर्मा ने बताया कि पुजारी परिवार की महिला सदस्य द्वारा बाबा महाकाल के लिए 7 दिन में राखी तैयारी की गई है। राखी बनाने के दौरान मंदिर के पुजारी परिवार के महिलाओं ने करीब एक फीट की आकर्षक राखी तैयार की थी इस दौरान निरंतर ओम नमः शिवाय का जाप भी किया राखी बनाने में रेशम का धागा, मखमल का कपड़ा, मोती, डायमंड का उपयोग किया गया है। राखी पर बाबा महाकाल का नाम भी अंकित किया गया है। इसके अलावा बाबा महाकाल के लिए श्रीफल, आरती की थाली भोग का प्रसाद भी तैयार किया गया है।

सोर्स - उज्जैन एमपी, विजेन्द्र यादव

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