‘मैं’ से मुक्ति पाने का उपाय हैं शिव
- शिव सृष्टि से परे हैं। एक ऐसी स्थिति जहां सिर्फ खालीपन है यानी शून्य। लेकिन यह शून्य भौतिक दृष्टि से नहीं है। यह शून्य ‘मैं’ के मिट जाने से पैदा होता है।शिव का मतलब है— ‘वह जो नहीं है’। सृष्टि वह है— ‘जो है’।
‘मैं’ से मुक्ति पाने का उपाय हैं शिव। शिव सृष्टि से परे हैं। एक ऐसी स्थिति जहां सिर्फ खालीपन है यानी शून्य। लेकिन यह शून्य भौतिक दृष्टि से नहीं है। यह शून्य ‘मैं’ के मिट जाने से पैदा होता है। शिव शब्द या शिव ध्वनि में वह सब कुछ विसर्जित कर देने की क्षमता है, जिसे आप ‘मैं’ कहते हैं। वह सब कुछ जिसे आप ‘मैं’ कहते हैं, वह मुख्य रूप से विचारों, भावनाओं, कल्पनाओं, मान्यताओं, पक्षपातों और जीवन के पूर्व अनुभवों का एक ढेर है।शिव शब्द के पीछे एक पूरा विज्ञान है। यह वह ध्वनि है, जो अस्तित्व के परे के आयाम से संबंधित है। उस तत्व— ‘जो नहीं है’ के सबसे नजदीक ‘शिव’ ध्वनि है। इसके उच्चारण से, वह सब जो आपके भीतर है— आपके कर्मों का ढांचा, उन सब को सिर्फ इस ध्वनि के उच्चारण से शून्य में बदला जा सकता है।
शिव का मतलब है— ‘वह जो नहीं है’। सृष्टि वह है— ‘जो है’। सृष्टि के परे, सृष्टि का स्रोत वह है— ‘जो नहीं है’। अगर आप भौतिकता से थोड़ा आगे जाएं, तो सब कुछ शून्य हो जाता है। शून्य का अर्थ है— पूर्ण खालीपन, एक ऐसी स्थिति जहां भौतिक कुछ भी नहीं है। जहां भौतिक कुछ है ही नहीं, वहां आपकी ज्ञानेंद्रियां भी बेकाम हो जाती हैं। तो अगर आप शून्य से परे जाएं, तो आपको जो मिलेगा, उसे हम शिव के रूप में जानते हैं।
शिव का अर्थ है, जो नहीं है। जो नहीं है, उस तक अगर आप पहुंच पाएंगे, तो आप देखेंगे कि इसकी प्रकृति भौतिक नहीं है। इसका मतलब है, इसका अस्तित्व नहीं है। पर यह धुंधला है, अपारदर्शी है। ऐसा कैसे हो सकता है? यह आपके तार्किक दिमाग के दायरे में नहीं है। आधुनिक विज्ञान मानता है कि इस पूरी रचना को इनसान के तर्कों पर खरा उतरना होगा, लेकिन जीवन को देखने का यह बेहद सीमित तरीका है। संपूर्ण सृष्टि मानव बुद्धि के तर्कों पर कभी खरी नहीं उतरेगी। आपका दिमाग इस सृष्टि में फिट हो सकता है, यह सृष्टि आपके दिमाग में कभी फिट नहीं हो सकती। तर्क इस अस्तित्व के केवल उन पहलुओं का विश्लेषण कर सकते हैं, जो भौतिक हैं। एक बार अगर आपने भौतिक पहलुओं को पार कर लिया, तो आपके तर्क पूरी तरह से उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर होंगे।
शब्द के अर्थ के अलावा, शब्द की शक्ति, ध्वनि की शक्ति बहुत अहम पहलू है। हम संयोगवश इन ध्वनियों तक नहीं पहुंचे हैं। यह कोई सांस्कृतिक घटना नहीं है, ध्वनि और आकार के बीच के संबंध को जानना एक अस्तित्व संबंधी प्रक्रिया है। हमने पाया कि ‘शि’ ध्वनि, निराकार या रूपरहित यानी जो नहीं है, के सबसे करीब है। शक्ति को संतुलित करने के लिए ‘व’ को जोड़ा गया।
अगर कोई सही तैयारी के साथ ‘शि’ शब्द का उच्चारण करता है, तो वह एक उच्चारण से ही अपने भीतर विस्फोट कर सकता है। इस विस्फोट में संतुलन लाने के लिए, इस विस्फोट को नियंत्रित करने के लिए, इस विस्फोट में दक्षता के लिए ‘व’ है। ‘व’ वाम से निकलता है, जिसका मतलब है, किसी खास चीज में दक्षता हासिल करना। इसलिए सही समय पर जरूरी तैयारी के साथ सही ढंग से इस मंत्र के उच्चारण से मानव शरीर के भीतर ऊर्जा का विस्फोट हो सकता है। ‘शि’ की शक्ति को बहुत से तरीकों से समझा गया है। यह शक्ति अस्तित्व की प्रकृति है।
शिव शब्द के पीछे एक पूरा विज्ञान है। यह वह ध्वनि है, जो अस्तित्व के परे के आयाम से संबंधित है। उस तत्व— ‘जो नहीं है’ के सबसे नजदीक ‘शिव’ ध्वनि है। इसके उच्चारण से, वह सब जो आपके भीतर है— आपके कर्मों का ढांचा, मनोवैज्ञानिक ढांचा, भावनात्मक ढांचा, जीवन जीने से इकट्ठा की गई छापें, वह सारा ढेर जो आपने जीवन की प्रक्रिया से गुजरते हुए जमा किया है, उन सब को सिर्फ इस ध्वनि के उच्चारण से नष्ट किया जा सकता है और शून्य में बदला जा सकता है। अगर कोई जरूरी तैयारी और तीव्रता के साथ इस ध्वनि का सही तरीके से उच्चारण करता है, तो यह आपको बिलकुल नए आयाम में पहुंचा देगा।
शिव शब्द या शिव ध्वनि में वह सब कुछ विसर्जित कर देने की क्षमता है, जिसे आप ‘मैं’ कहते हैं। वह सब कुछ जिसे आप ‘मैं’ कहते हैं, वह मुख्य रूप से विचारों, भावनाओं, कल्पनाओं, मान्यताओं, पक्षपातों और जीवन के पूर्व अनुभवों का एक ढेर है। अगर आप वाकई अनुभव करना चाहते हैं, कि इस पल में क्या है, अगर आप वाकई अगले पल में एक नए आयाम में कदम रखना चाहते हैं, तो यह तभी हो सकता है, जब आप खुद को हर पुरानी चीज से आजाद कर दें। वरना आप पुरानी हकीकत को ही अगले पल में खींच लाएंगे। रोज, हर पल, कई दशकों का भार घसीटने का बोझ, जीवन से सारा उल्लास खत्म कर देता है। ज्यादातर लोगों के लिए बचपन की मुस्कुराहटें और हंसी, नाचना-गाना जीवन से गायब हो गया है। अगर आप एक बिलकुल नए प्राणी के रूप में आनेवाले कल में, अगले पल में कदम रखना चाहते हैं तो शिव ही इसका उपाय हैं।
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