Hindi Newsधर्म न्यूज़Lohri 2025 kab hai date time poojavidhi and significance

Lohri 2025: लोहड़ी कब है? जानिए सही तिथि, पूजाविधि और धार्मिक महत्व

  • Lohri 2025: हर साल मकर संक्रांति के पर्व से एक ही पहले लोहड़ी मनाया जाता है। इस दिन अग्निदेव को खील, रेवड़ी,गेहूं की बालियां और मूंगफली अर्पित किया जाता है और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूजा की जाती है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 7 Jan 2025 09:12 AM
share Share
Follow Us on

Lohri 2025: हर साल मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी मनाया जाता है। सिखों के लिए यह बेहद खास पर्व है। लोहड़ी खासतौर से पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मनाया जाता है। यह पर्व फसलों के तैयार होने की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन अग्निदेव की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि ठंड से ही प्रकोप कम और रातें छोटी होने लगती है। लोहड़ी के दिन संध्याकाल में अलाव जलाया जाता है और अग्निदेव को रेवड़ी, खील, मूंगफली और गेहूं की बालियां अर्पित की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी के दिन अग्निदेव की पूजा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि, शांति और धन-वैभव का आगमन होता है। आइए जानते हैं लोहड़ी की सही तिथि, पूजाविधि और धार्मिक महत्व...

2025 लोहड़ी कब है?

दृक पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी 2025 को सुबह 09 बजकर 03 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि मे प्रवेश करेंगे। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति मनाया जाएगा। मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी मनाया जाता है। इसलिए 13 जनवरी 2025 को लोहड़ी मनाई जाएगी।

लोहड़ी की पूजाविधि :

लोहड़ी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

घर के मंदिर की साफ-सफाई करें।

इसके बाद मां दुर्गा, भगवान कृष्ण और अग्नि देव की पूजा करें।

देवी दुर्गा को फल, फूल, धूप, दीप, सिंदूर, रेवड़ी और तिल का लड्डू अर्पित करें।

इसके बाद शाम को सूखी लकड़ियां जलाएं।

अलाव में रेवड़ी, तिल के लड्डू, खील, मक्की और मूंगफली अर्पित करें।

इसके बाद परिवार के संग लोहड़ी की 7 या 11 बार परिक्रमा करें।

लोहड़ी का धार्मिक महत्व :

सिख समुदाय में लोहड़ी का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लोहड़ी केवल धार्मिक आस्था का पर्व नहीं है बल्कि यह कृषि समाज की मेहनत, एकता और खुशहाली का प्रतीक है। इस दिन सूर्यदेव और अग्निदेव की पूजा की जाती है और अच्छी फसल की कामना करते हुए ईश्वर का आभार व्यक्त किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। लोहड़ी के दिन अग्नि में रेवड़ी, मूंगफली और गुड़ को अर्पित किया जाता है। महिलाएं लोहड़ी की लोकगीत गाती हैं।

ये भी पढ़ें:मकर संक्रांति, लोहड़ी और पोंगल त्योहार कब है? जानिए सही तिथि

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें