Hindi Newsधर्म न्यूज़Knowledge of soul is supremely beneficial Mahatama budhh inspiring stories

आत्म तत्व का ज्ञान परम कल्याणकारी है, पढ़ें महात्मा बुद्ध से जुड़ी प्रेरक कहानी

महात्मा बुद्ध से एक भिक्षु ने पूछा कि वह सुखी होने के लिए क्या करे? बुद्ध ने कहा कि वह अपने मन से भोगों को निकाल दे। भोगों का लगाव ही उसे सुखी होने नहीं दे रहा है। पढ़ें महात्मा बुद्ध से जुड़ी प्रेरक कहानी

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तानTue, 14 Jan 2025 10:00 AM
share Share
Follow Us on

महात्मा बुद्ध से एक भिक्षु ने पूछा कि वह सुखी होने के लिए क्या करे? बुद्ध ने कहा कि वह अपने मन से भोगों को निकाल दे। भोगों का लगाव ही उसे सुखी होने नहीं दे रहा है। वह भोगों से मित्रता नहीं करे। उनसे मित्रता उसे नरक की ओर ले जाएगी। सांसारिक भोग चोर के समान हैं। ये चोर उसकी आयु को धीरे-धीरे नष्ट कर देंगे। इससे बचने का एकमात्र उपाय वैराग्य है, जिसे ज्ञान के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

तभी दूसरे भिक्षु ने पूछा कि वह अपने भीतर के लोभ को कैसे मिटाए? बुद्ध ने कहा कि लोभ को बांध दे। इससे उसकी शक्ति कम हो जाएगी। लोभ सभी दुखों की जड़ है। लोभ से मन कभी नहीं भरता। लोभ इनसान की कभी नहीं मिटने वाली तृष्णा को और बढ़ाता है। लोभी मन की भूख कभी नहीं मिटती। इससे बचने का एकमात्र उपाय है कि व्यक्ति संग्रह करना छोड़ दे। जितना उसके पास है, उससे संतुष्ट रहे। संग्रह का मोह छोड़कर वस्तुओं और इच्छाओं को त्यागने का प्रयास करे। लोभ रहित होकर निष्काम भाव से वह दूसरों को जितना बांटेगा, उतनी ही उसे शांति और सुख का अनुभव होगा।

तीसरा भिक्षु जो अब तक शांत था, उसने तथागत से पूछा, ‘आत्मा क्या है?’ बुद्ध ने कहा, ‘आत्मा निराकार-सर्वव्यापक है, आनंद है। आत्मा पूर्ण है। आत्मा अजर-अमर है। आत्मा मानव से लेकर पशु-पक्षी आदि सभी जीवों में व्याप्त है। वह सभी जीवों में चेतना है।

आत्मा तटस्थ है। आत्मा पूर्ण और तृप्त है। आत्मा परम पवित्र है। आत्मा को इंद्रियां, मन और बुद्धि नहीं जान सकते, इसलिए वह अव्यक्त है। आत्मा तो इन सबसे दूर है, इसलिए वह अचिंत्य है। आत्मा आश्चर्यमय है, क्योंकि उसे कोई विरला ही जान पाता है। आत्मा का अनुभव करना सबसे बड़ा कार्य है। आत्मा अवध्य है, क्योंकि उसका कभी भी किसी भी साधन या शस्त्र से कोई भी नाश नहीं कर सकता। आत्मा सदा भरपूर और पूर्ण है। उसका जो अनुभव कर लेता है, वह आनंद को प्राप्त कर लेता है।

आत्मा सभी जीवों में विद्यमान है। आत्मा सबकी द्रष्टा है। वह सब जीवों में जन्म और मृत्यु भी देखती है। जन्म, बचपन, यौवन और वृद्धावस्था की साक्षी है। आत्मा स्वयं प्रकाश है। उसे किसी अन्य प्रकाश की जरूरत नहीं है। आत्मा निरंजन है। विकारों से रहित आत्मा में किसी भी प्रकार का मैल नहीं है। आत्मा अविनाशी है और वह जन्म-मरण से रहित है। वह शाश्वत है, अर्थात सदा सर्वदा है। आत्मा को कोई नहीं मार सकता। आत्मा को शस्त्र काट नहीं सकते, आग जला नहीं सकती, पानी इसे डुबो नहीं सकता और वायु इसे सुखा नहीं सकती। आत्मा सनातन है अर्थात वह सदा-सदा रहनेवाला अनादि तत्व है। इसलिए मनुष्य को भौतिक सुखों के पीछे नहीं भागना चाहिए, बल्कि आत्म ज्ञान प्राप्त करके आत्म तत्व को पाने का प्रयास करना चाहिए। इसी में सबका कल्याण है।’

अश्वनी कुमार

अगला लेखऐप पर पढ़ें