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Kartik Purnima : कार्तिक पूर्णिमा आज, नोट कर लें पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त से लेकर सबकुछ

  • कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा 15 नवंबर यानी आज है। भारतीय संस्कृति में कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महात्म्य है। पूर्णिमा के दिन धार्मिक आयोजन, पवित्र नदी में स्नान, पूजन और दान धर्म का विधान है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 15 Nov 2024 06:37 AM
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कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा 15 नवंबर यानी आज है। भारतीय संस्कृति में कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महात्म्य है। पूर्णिमा के दिन धार्मिक आयोजन, पवित्र नदी में स्नान, पूजन और दान धर्म का विधान है। दान करने से भक्तों को पापों से मुक्ति मिलेगी। ऐसे में जो लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान व दान करते हैं, उसे पूरे महीने की गई पूजा के बराबर पुण्य मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। इसके बाद देवताओं से प्रसन्न होकर काशी में सैकड़ों दीए जलाए थे। तभी से इसे देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा को भगवान विष्णु की अपार कृपा बरसती है। इस दिन गंगा स्नान से शरीर में पापों का नाश एवं सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। भगवान नारायण ने अपना पहला अवतार मत्स्य अवतार के रूप में कार्तिक पूर्णिमा के दिन लिया था।

कार्तिक पूर्णिमा पूजा मुहूर्त:-

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:57 बजेसेसुबह 5:50 बजे तक।

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:43 बजेदोपहर 12:26 बजे तक।

विजय मुहूर्त: दोपहर 1:52 बजेसेदोपहर 2:35 बजे तक।

स्नान-दान का समय: 15 नवंबर को दिनभर कार्तिक पूर्णिमा का स्नान-दान किया जा सकता है।

उपाय- पूर्णिमा को भगवान विष्णु के निकट अखण्ड दीप दान करनेसेदिव्य कांति की प्राप्ति होती है। साथ ही जातक को धन, यश, कीर्ति का लाभ भी मिलता है। गंगा स्नान के बाद दीप दान करनेसेभक्तों को 10 यज्ञों के समान फल मिलता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर बने हैं येशुभ योग- कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रमा और मंगल एक-दूसरे की राशि में रहेंगे और राशि परिवर्तन योग बनाएंगे। इस दिन गजकेसरी योग और बुधादित्य राजयोग भी बन रहा है। साथ ही इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर शश राजयोग का शुभ संयोग भी बना हुआ है। इसी दिन शनि अपनी राशि कुंभ में मार्गी होने जा रहे हैं।

पूजा-विधि:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करनेका बहुत अधिक महत्व होता है।
  • आप नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान भी कर सकतेहैं। नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें।
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • सभी देवी-देवताओं का गंगा जल सेअभिषेक करें।
  • पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है।
  • इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना भी करें।
  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
  • भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं।
  • इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
  • पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।
  • चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें।

दीपदान का है विशेष महत्व- इस दिन घर, मंदिर और नदी, तालाब में दीप दान कर देव दीपाावली भी मनाई जाती है। अग्निपुराण में कहा गया है कि दीपदान से बढ़कर कोई व्रत नहीं है। इसका बहुत पुण्य मिलता है।

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