Kartik Purnima 2024: नवंबर में कार्तिक पूर्णिमा या देव दिवाली कब है? जानें डेट, महत्व, स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
- Kartik Purnima 2024: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान व दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। जानें नवंबर में कार्तिक पूर्णिमा कब है-
Kartik Purnima 2024 date: हर माह एक अमावस्या और एक पूर्णिमा तिथि आती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा पड़ती है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है लेकिन कार्तिक मास की पूर्णिमा अत्यंत शुभ व लाभकारी मानी गई है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान-दान व दीपदान करने से कई गुना ज्यादा शुभ फलों की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दीपावली या देव दिवालीमनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही भगवान शिव से त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए देव दिवाली के को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। कहा जाता है कि इस दिन स्नान-दान करने से जीवन में खुशहाली, सुख-शांति व समृद्धि का आगमन होता है। जानें इस साल कार्तिक पूर्णिमा कब है, शुभ मुहूर्त व महत्व-
कार्तिक पूर्णिमा कब है 2024: पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर प्रारंभ होही और 16 नवंबर को सुबह 02 बजकर 58 मिनट पर समापन होगा। कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर 2024, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
देव दीपावली प्रदोष काल मुहूर्त- देव दीवाली का प्रदोष काल मुहू्र्त 15 नवंबर को शाम 05 बजकर 10 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। पूजन की कुल अवधि 02 घंटे 37 मिनट की है।
कार्तिक पूर्णिमा पर चौघड़िया मुहूर्त-
चर - सामान्य: 06:43 ए एम से 08:04 ए एम
लाभ - उन्नति: 08:04 ए एम से 09:24 ए एम
अमृत - सर्वोत्तम: 09:24 ए एम से 10:44 ए एम
शुभ - उत्तम: 12:05 पी एम से 01:25 पी एम
लाभ - उन्नति: 08:46 पी एम से 10:25 पी एम
कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान के शुभ मुहू्र्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:57 ए एम से 05:50 ए एम
प्रातः सन्ध्या - 05:23 ए एम से 06:43 ए एम
राहुकाल व भद्रा का समय- कार्तिक पूर्णिमा या देव दिवाली पर भद्रा का साया रहने वाला है। ज्योतिष शास्त्र में राहुकाल व भद्रा अच्छे कार्यों को करने के लिए शुभ नहीं माने गए हैं। भद्रा सुबह 06:43 से शाम 04:37 तक रहेगी। राहुकाल सुबह 10:44 से दोपहर 12:05 तक रहेगी।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व- कार्तिक पूर्णिमा के भगवान शिव ने त्रिपुरापुर नामक राक्षस का वध किया था। इस दिन ही भगवान विष्णु ने राक्षसों से ऋषि, मुनियों की रक्षा करने के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था। यह दिन सिख धर्म के लिए खास होता है, इस दिन ही गुरु नानक जयंती मनाई जाती है।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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