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जन्माष्टमी आज, नोट कर लें पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत पारण टाइम

  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज है। भागवत महापुराण आदि ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म अथवा प्रकटीकरण भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की मध्य रात्रि को हुआ था।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तानMon, 26 Aug 2024 03:13 AM
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज है। भागवत महापुराण आदि ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म अथवा प्रकटीकरण भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की मध्य रात्रि को तब हुआ था जब खगोलीय गणना के अनुसार रोहिणी नक्षत्र, हर्षण योग और बब कारण अष्टमी तिथि को अर्ध रात्रि में एक साथ संचरण कर रहे थे। सोमवार रात 12 बजे अजन्मे का जन्म होते ही घर-घर खुशियां मनाई जाएंगी। बधाइयों का सिलसिला बना रहेगा। आइए जानते है, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत पारण टाइम….

मुहूर्त-

निशिता पूजा का समय - 12:01 ए एम से 12:45 ए एम, अगस्त 27

अवधि - 00 घण्टे 45 मिनट्स

दही हाण्डी मंगलवार, अगस्त 27, 2024 को

धर्म शास्त्र के अनुसार पारण समय

पारण समय - 03:38 पी एम, अगस्त 27 के बाद

पारण के दिन रोहिणी नक्षत्र का समाप्ति समय - 03:38 पी एम

पारण के दिन अष्टमी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी।

धर्म शास्त्र के अनुसार वैकल्पिक पारण समय

पारण समय - 05:57 ए एम, अगस्त 27 के बाद

देव पूजा, विसर्जन आदि के बाद अगले दिन सूर्योदय पर पारण किया जा सकता है।

वर्तमान में समाज में प्रचलित पारण समय

पारण समय - 12:45 ए एम, अगस्त 27 के बाद

भारत में कई स्थानों पर, पारण निशिता यानी हिन्दु मध्यरात्रि के बाद किया जाता है।

मध्यरात्रि का क्षण - 12:23 ए एम, अगस्त 27

चन्द्रोदय समय - 11:20 पी एम Krishna Dashami

अष्टमी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 26, 2024 को 03:39 ए एम बजे

अष्टमी तिथि समाप्त - अगस्त 27, 2024 को 02:19 ए एम बजे

रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ - अगस्त 26, 2024 को 03:55 पी एम बजे

रोहिणी नक्षत्र समाप्त - अगस्त 27, 2024 को 03:38 पी एम बजे

पूजा-विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।

घर के मंदिर में साफ- सफाई करें।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें।

इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है।

लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें।

इस दिन लड्डू गोपाल को झूले में बैठाएं।

लड्डू गोपाल को झूला झूलाएं।

अपनी इच्छानुसार लड्डू गोपाल को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें।

इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था।

रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें।

लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं।

लड्डू गोपाल की आरती करें।

इस दिन अधिक से अधिक लड्डू गोपाल का ध्यान रखें।

इस दिन लड्डू गोपाल की अधिक से अधिक सेवा करें।

महत्व

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व होता है।

इस दिन विधि- विधान भगवान श्री कृष्ण की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

इस दिन पूजा- अर्चना करने से निसंतान दंपतियों को भी संतान की प्राप्ति हो जाती है।

रात्रि में हुआ था भगवान श्री कृष्ण का जन्म

भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि में हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा- अर्चना रात्रि में ही की जाती है।

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