तुलसी विवाह तुलसी जी की आरती: जय जय तुलसी माता व तुलसी महारानी नमो नमो
- Tulsi Vivah Aarti: तुलसी विवाह पर माता तुलसी व शालिग्राम जी का विधि-विधान से विवाह कराया जाता है। तुलसी विवाह के बाद तुलसी माता व शालिग्राम जी की आरती करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
Jai Jai Tulsi Mata and Tulsi Maharani Namo Namo Aarti: हर साल देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह कराया जाता है। इस साल तुलसी विवाह 12 नवंबर 2024, मंगलवार को है। मान्यता है कि माता तुलसी व भगवान शालिग्राम का विवाह कराने से वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। तुलसी विवाह कराने से व्यक्ति पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। तुलसी विवाह कराने के बाद माता तुलसी व भगवान शालिग्राम की आरती करनी चाहिए। यहां पढ़ें माता तुलसी की आरती व शालिग्राम जी की आरती-
जय जय तुलसी माता आरती (Jai Jai Tulsi Mata Aarti)-
जय जय तुलसी माता,
मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता,
सबकी वर माता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
सब योगों से ऊपर,
सब रोगों से ऊपर ।
रज से रक्ष करके,
सबकी भव त्राता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
बटु पुत्री है श्यामा,
सूर बल्ली है ग्राम्या ।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे,
सो नर तर जाता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
हरि के शीश विराजत,
त्रिभुवन से हो वंदित ।
पतित जनों की तारिणी,
तुम हो विख्याता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
लेकर जन्म विजन में,
आई दिव्य भवन में ।
मानव लोक तुम्हीं से,
सुख-संपति पाता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
हरि को तुम अति प्यारी,
श्याम वर्ण सुकुमारी ।
प्रेम अजब है उनका,
तुमसे कैसा नाता ॥
हमारी विपद हरो तुम,
कृपा करो माता ॥
॥ जय तुलसी माता॥
जय जय तुलसी माता,
मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता,
सबकी वर माता ॥
तुलसी आरती - महारानी नमो-नमो (Tulsi Aarti - Maharani Namo Namo)
तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।
धन तुलसी पूरण तप कीनो,
शालिग्राम बनी पटरानी ।
जाके पत्र मंजरी कोमल,
श्रीपति कमल चरण लपटानी ॥
तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।
धूप-दीप-नवैद्य आरती,
पुष्पन की वर्षा बरसानी ।
छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन,
बिन तुलसी हरि एक ना मानी ॥
तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।
सभी सखी मैया तेरो यश गावें,
भक्तिदान दीजै महारानी ।
नमो-नमो तुलसी महारानी,
तुलसी महारानी नमो-नमो ॥
तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।
शालिग्राम जी की आरती (Shaligram ji Ki Aarti)-
शालिग्राम सुनो विनती मेरी।
यह वरदान दयाकर पाऊं।।
प्रात: समय उठी मंजन करके।
प्रेम सहित स्नान कराऊँ।।
चन्दन धूप दीप तुलसीदल।
वरन-वरण के पुष्प चढ़ाऊँ।।
तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित।
प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं।।
चरण धोय चरणामृत लेकर।
कुटुंब सहित बैकुण्ठ सिधारूं।।
जो कुछ रुखा सूखा घर में।
भोग लगाकर भोजन पाऊं।।
मन वचन कर्म से पाप किये।
जो परिक्रमा के साथ बहाऊँ।।
ऐसी कृपा करो मुझ पर।
जम के द्वारे जाने न पाऊं।।
माधोदास की विनती यही है।
हरी दासन को दास कहाऊं।।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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