जगन्नाथ रथ यात्रा 7 को, नेत्र उत्सव पर प्रभु भक्तों को नवयौवन रूप में देंगे दर्शन
- पुरी के तर्ज पर कलानगरी सरायकेला में आयोजित होने वाली प्रभु जगन्नाथ के रथ यात्रा की तैयारी अंतिम चरण में है। प्रभु जगन्नाथ के आकर्षक रथ का निर्माण कार्य किया जा रहा है।
पुरी के तर्ज पर कलानगरी सरायकेला में आयोजित होने वाली प्रभु जगन्नाथ के रथ यात्रा की तैयारी अंतिम चरण में है। प्रभु जगन्नाथ के आकर्षक रथ का निर्माण कार्य किया जा रहा है। यहां 7 जुलाई को रथयात्रा होगी जो पुरी (ओड़िशा) के तर्ज पर प्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा रथ पर आरूढ़ होकर मौसीबाड़ी रवाना होंगे। यहां रथयात्रा तथा पूजा परंपरा पुरी की विश्वविख्यात रथयात्रा के तर्ज पर ही आयोजित होती है। रथ यात्रा के मौसी बाड़ी जाने तथा लौटने के क्रम में बीच रास्ते में एक दिन बड़दांडो में विश्राम करने की परंपरा यहां के रथयात्रा को अन्य रथयात्रा से काफी अलग रुप में प्रदर्शित करता है।
एकांतवास में प्रभु का चल रहा है उपचार : स्नान पूर्णिमा पर अत्यधिक स्नान से प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा बीमार होकर एकांतवास में चले गये हैं। इसके बाद उन्हें मन्दिर के अणसर गृह में रखा गया है जहां महाप्रभु की गुप्त सेवा की जा रही है। सेवायतों द्वारा मंदिर के अणसर गृह में पूजा-अर्चना के साथ फल-मूल का भोग लगाया जा रहा है साथ ही देसी नुस्खे से महाप्रभु का उपचार भी शुरू कर दिया गया है। बीमार भगवान का जड़ी बूटियों से देशी उपचार किया जा रहा है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जड़ी-बूटियों का काढ़ा पिलाया जा रहा है। देशी नुस्खों से उनका इलाज करने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के जड़ी-बूटियों का काढ़ा और प्रसाद के रुप में मौसमी फलों का जूस दिया जा रहा है। इस दौरान भक्तों को महाप्रभु दर्शन नहीं दे रहे हैं। परंपरा के अनुसार अणसर दशमी के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्र को जंगल की दस जड़ी-बुटी से तैयार दवा खिलाया गया। दस अलग-अलग जड़ी-बुटी से तैयार होने के कारण ही इस दवा का नाम दशमूली दवा पडा। परंपरा के अनुसार इस दवा को खाने के दो-तीन दिन बाद प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के स्वस्थ्य में सुधार होने लगेगी और नेत्र उत्सव पर भक्तों को दर्शन देंगे। इस वर्ष सात जुलाई को नेत्र उत्सव व रथ यात्रा पर प्रभु के दर्शन होंगे। सात जुलाई को रथयात्रा के दिन प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा पूरी तरह से स्वस्थ होकर भक्तों को दर्शन देंगे।
नेत्र उत्सव पर प्रभु नवयौवन रूप में देंगे दर्शन : सात जुलाई की सुबह प्रभु का नेत्र उत्सव किया जायेगा। इसके साथ ही प्रभु अपने नवयौवन रूप में भक्तों को दर्शन देंगे। इसी दिन शाम को प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जायेगी। रथ पर सवार होकर प्रभु जगन्नाथ गुंडिचा मंदिर मौसीबाड़ी के लिये रवाना होंगे।
रथ यात्रा कार्यक्रम
नेत्र उत्सव सह नवयौवन रूप के दर्शन : 07 जुलाई की सुबह
गुंडिचा रथयात्रा : 07 जुलाई की शाम
हेरा पंचमी : 11 जुलाई
नवमी संध्या दर्शन : 14 जुलाई
बाहुड़ा रथ यात्रा : 15 जुलाई
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