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Rashifal: आज से नीच राशि कन्या में होकर भी शुक्र इन राशियों को देंगे महालाभ

  • Horoscope shukra kanya rashi भाद्रपद कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि 24 अगस्त 2024 दिन शनिवार को रात में 7:30 बजे के बाद शुक्र का गोचर सूर्य की राशि सिंह से बुध की राशि कन्या में होगा।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, ज्योतिर्विद दिवाकर त्रिपाठीSun, 25 Aug 2024 03:35 PM
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ज्योतिर्विद दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि 24 अगस्त 2024 दिन शनिवार को रात में 7:30 बजे के बाद शुक्र का गोचर सूर्य की राशि सिंह से बुध की राशि कन्या में होगा। यद्यपि कि शुक्र , बुध के मित्र ग्रह होने से बुध की राशि में मित्र गृही होते हैं फिर भी कन्या राशि शुक्र की नीच राशि मानी जाती है। शुक्र को सौंदर्य, सौभाग्य साहित्य, प्रेम, आकर्षण, कला, सुख, वीणा, वाद्य यंत्र, सितार, सिनेमा, कोमल वस्तु, श्रृंगार एवं सुगंधित पदार्थ के कारक ग्रह माना जाता है । शुक्र के नीच राशि कन्या में गोचर करते हुए केतु से युति एवं राहु से दृष्ट होंगे , साथ ही मंगल एवं बृहस्पति की भी दृष्टि शुक्र पर पड़ेगी। एक तरफ राहु एवं शुक्र के दृष्टि प्रभाव से नीचे के शुक्र के प्रभाव में तीव्रता के साथ कमी एवं नकारात्मकता आएगी तो वहीं बृहस्पति की दृष्टि पड़ने के कारण शुक्र के शुभ प्रभाव में वृद्धि भी हो जाएगा । इस प्रकार शुक्र के इस गोचर का उच्च एवं निम्न दोनों प्रभाव दिखाई देगा। शुक्र नीच राशि कन्या में 18 सितम्बर 2024 तक रहकर अपना संपूर्ण प्रभाव चराचर जगत सहित सभी प्राणियों पर स्थापित करेगा।

शुक्र के कन्या राशि में गोचर का भारत पर क्या होगा असर 
स्वतंत्र भारत की कुंडली में लग्न के अनुसार देखा जाए तो शुक्र लग्न एवं छठे भाव के कारक होकर पंचम भाव में गोचर आरंभ करेंगे। परिणाम स्वरुप भारत के आर्थिक एवं व्यापारिक गतिविधियों में सुधार होगा। आर्थिक पक्ष मजबूती आएगी। राष्ट्र के कलाकारों के लिए समय थोड़ा प्रतिकूल होगा । सिनेमा, कला, लेखन, फ़िल्म आदि क्षेत्र नकारात्मक खबरें देखने एवं सुनने को मिल सकती हैं । कला, सिनेमा, लेखन क्षेत्र एवं महिलाओं के क्षेत्र से इन क्षेत्रों से जुड़े बड़े व्यक्तित्व की क्षति भी हो सकती है। महिलाओं तथा बच्चियों के लिए यह समय नकारात्मक प्रभाव वाला हो सकता है। महिलाएं तथा बच्चिया अपने स्वास्थ्य एवं शोषण के प्रति विशेष रूप से सजग रहे और अपनी सुरक्षा का विशेष ध्यान दें। महिलाओं एवं बच्चियों को लेकर राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ बड़ी नकारात्मकता एवं दुर्घटना में वृद्धि देखने को मिल सकती है। अतः विशेष रूप से सतर्कता बरतनी होगी। आम जनमानस के सुख में कमी देखने को मिल सकती है। इस समय में वायरस का अटैक का प्रभाव बढ़ता हुआ दिखाई देगा। लोगों के इम्यूनिटी पावर अर्थात रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी भी होगी अतः स्वास्थ्य का जरूर ध्यान रखें। ज्योतिर्विद दिवाकर त्रिपाठी से जानिए-

शुक्र के कन्या राशि में गोचर का मेष से मीन तक के प्रत्येक व्यक्तियों पर निम्न व्यापक प्रभाव दिखाई दे सकता है।

मेष :- धनेश सप्तमेश होकर छठें भाव में गोचर करेगा। परिणाम स्वरुप जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर तनाव उत्पन्न हो सकता है। दैनिक आय में प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देगा । अति घनिष्ठ व्यक्ति से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अचानक धन खर्च बढ़ सकता है। पारिवारिक कार्यों पर खर्च बढ़ सकता है। वाणी व्यवस्था से जुड़े लोगों के लिए समय प्रतिकूल रह सकता है।

वृष :- लग्नेश एवं रोगेश होकर पंचम भाव में गोचर करेंगे , परिणाम स्वरुप बौद्धिक क्षमता का सार्थक प्रयोग हो पाएगा। आर्थिक गतिविधियों में सुधार होगा। मनोबल में नकारात्मकता संभव है। स्वास्थ्य को लेकर के सतर्क रहना होगा । चोट अथवा ऑपरेशन की संभावना बन सकती है। अध्ययन अध्यापन में अवरोध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

मिथुन :- व्ययेश एवं पंचमेश होकर सुख भाव में स्वगृही गोचर करेगा,परिणाम स्वरुप गृह एवं वाहन सुख में वृद्धि होगी। संतान को चोट अथवा स्वास्थ्यगत कष्ट हो सकता है। सामाजिक पद प्रतिष्ठा एवं सम्मान में वृद्धि की स्थिति बनेगी। अध्ययन अध्यापन में अवरोध अथवा तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

कर्क :- लाभेश एवं सुखेश होकर तृतीय भाव में गोचर आरंभ करेंगे, परिणाम स्वरुप जमीन जायदाद घर तथा गाड़ी को लेकर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। आंतरिक दर में वृद्धि हो सकती है। छोटे भाई बहनों के लिए समय तनावपूर्ण रह सकता है। अचानक धन लाभ की स्थिति थोड़े व्यवधान के साथ बन सकती है। कार्यों में भाग्य का साथ प्राप्त हो सकता है।

सिंह :- पराक्रमेश एवं राज्येश होकर धन भाव में स्वगृही गोचर करेगा। परिणाम स्वरुप वाणी व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए समय अनुकूल रहेगा। परिश्रम में सामान्य व्यवधान की संभावना बनेगी। पारिवारिक कार्यों में खर्च बढ़ सकता है। पेट एवं पेशाब की समस्या के कारण तनाव रह सकता है। भाई, बहनों तथा मित्रों के स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहना होगा।

कन्या :- धनेश एवं भाग्येश होकर लग्न भाव में स्वगृही गोचर आरंभ करेगा। परिणाम स्वरूप पारिवारिक कार्यों को लेकर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। वाणी व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए समय तनाव पूर्ण रह सकता है। व्यापारिक गतिविधियों में सामान्य अवरोध अथवा तनाव की स्थिति रह सकती है। कार्यों में भाग्य का साथ कम प्राप्त होगा। पिता के स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहें।

तुला :- लग्नेश एवं अष्टमेश होकर द्वादश भाव में गोचर आरंभ करेंगे । परिणाम स्वरूप स्वास्थ्य को लेकर विशेष रूप से सतर्क रहें दूरस्थ यात्रा का योग बन सकता है। मनोबल में नकारात्मकता आ सकती है। अति घनिष्ठ व्यक्ति से तनाव हो सकता है। अचानक धन लाभ की स्थिति बन सकती है। पुराने रोगों से मुक्ति मिल सकती है। आंतरिक एवं मानसिक अशांति संभव।

वृश्चिक :- सप्तमेश एवं व्ययेश होकर लाभ भाव में गोचर करेंगे। परिणाम स्वरूप आर्थिक गतिविधियों में सुधार होगा । व्यापारिक संबंधों से लाभ होगा। जीवनसाथी से लाभ की संभावना बनेगी परंतु जीवनसाथी को चोट अथवा ऑपरेशन की भी संभावना बन सकती है। प्रेम संबंधों में तनाव की स्थिति बन सकती है।

धनु :- रोगेश एवं लाभेश होकर दशम भाव में गोचर करेंगे। परिणाम स्वरूप जमीन, गृह, जायदाद, वाहन के सुख में वृद्धि हो सकती है। परिश्रम में अवरोध की स्थिति हो सकती है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगा। सामाजिक पद प्रतिष्ठा एवं सम्मान में वृद्धि की संभावना बनेगी। अधिक परिश्रम का कम लाभ प्राप्त होगा।

मकर :- पंचमेश एवं दशमेश होकर नवम भाव में गोचर आरंभ करेंगे। परिणाम स्वरूप परिश्रम में अवरोध की स्थिति बनेगी। कार्यों में भाग्य का साथ प्राप्त होगा। संतान पक्ष को लेकर सामान्य तनाव के साथ बड़ी उपलब्धि प्राप्त हो सकती है। अध्ययन अध्यापन में सामान्य अवरोध की स्थिति बन सकती है। पद प्रतिष्ठा में अवरोध की स्थिति बन सकती है

कुम्भ :- सुखेश एवं भाग्येश होकर अष्टम भाव गोचर करेंगे । परिणाम स्वरुप गृह एवं वाहन पर खर्च की संभावना बनेगी। माता के स्वास्थ्य को लेकर तनाव हो सकता है। पेट की आंतरिक समस्या के कारण तनाव की संभावना है। कार्यों में भाग्य का साथ कम प्राप्त होगा। वाणी व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए समय अनुकूल रहेगा।

मीन :- पराक्रमेश एवं अष्टमेश होकर षष्ठ भाव में गोचर आरंभ करेंगे । परिणाम स्वरुप साझेदारी के कार्यों में अवरोध की स्थिति। जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर तनाव की स्थिति बन सकती है। भाई बहनों को चोट अथवा शल्य चिकित्सा का योग बन सकता है। दैनिक आय में अवरोध अथवा रुकावट हो सकती है।

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