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होलिका दहन पर भद्रा का साया, नोट कर लें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, महत्व से लेकर सबकुछ

  • हिंदू पंचांग के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन होलिका दहन की परंपरा है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 6 March 2025 03:23 PM
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होलिका दहन पर भद्रा का साया, नोट कर लें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, महत्व से लेकर सबकुछ

हिंदू पंचांग के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन होलिका दहन की परंपरा है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होलिका दहन के पीछे धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने होलिका का विनाश किया था। इसे बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग होलिका में पुरानी और नकारात्मक चीजें अर्पित करके जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का स्वागत करते हैं। इस वर्ष होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहेगा, जिसके कारण शुभ मुहूर्त में कमी रहेगी। ऋषिकेश पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर दो मिनट पर लग जाएगी। इस दिन भद्रा का साया भी रहेगा, जो रात 10 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भद्रा काल में होलिका दहन अशुभ माना जाता है। इसलिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त भद्रा समाप्ति के बाद शुरू होगा।

भद्रा का साया और शुभ मुहूर्त : भद्रा को अशुभ माना जाता है और इसकी अवधि में किसी भी शुभ कार्य को करने से बचने की सलाह दी जाती है। इस बार फाल्गुन पूर्णिमा पर भद्रा का साया होने के कारण होलिका दहन का शुभ समय रात के मध्य में रहेगा।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त :

पूर्णिमा तिथि का आरंभ : 13 मार्च रात 10:02 बजे

भद्रा समाप्ति : 13 मार्च रात 10:44 बजे

होलिका दहन का शुभ समय : 13 मार्च रात 10:44 बजे के बाद,

मध्य रात्रि में केवल 1 घंटा 4 मिनट का समय

भद्रा समाप्ति : मध्य रात्रि के बाद शुभ मुहूर्त अवधि : 1 घंटा 4 मिनट

होलिका दहन के नियम और विधि : भद्रा समाप्ति के बाद ही होलिका दहन करें : 13 मार्च की रात 10:44 बजे के बाद शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करना चाहिए।

विधि : पूजा कर होलिका की परिक्रमा करें और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें।

होलिका दहन का महत्व :

विशेषज्ञों की राय : पंडित पुरेंद्र उपाध्याय ने बताया भद्रा के दौरान होलिका दहन करने से अशुभ फल मिल सकते हैं। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि शुभ मुहूर्त में ही होलिका दहन करें।

होली का पर्व : होलिका दहन के अगले दिन रंगों का पर्व होली मनाया जाता है। इस बार होली 14 मार्च शुक्रवार को हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाई जाएगी। इस दिन लोग रंग, गुलाल और पिचकारी से एक-दूसरे को रंगते हैं और गिले-शिकवे भूलकर एकता और प्रेम का संदेश देते हैं।

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