Notification Icon
Hindi Newsधर्म न्यूज़hartalika teej 2024 puja muhurat time

Hartalika teej 2024 muhurat: हरतालिका तीज पर शुभ संयोग, ज्योतिर्विद से जानें पूजा के सभी शुभ मुहूर्त

  • प्रत्येक वर्ष हरितालिका व्रत जिसे तीज व्रत भी कहा जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को एवं हस्त नक्षत्र में होता है। हरितालिका व्रत सुहागिन महिलाओ एवं अविवाहित कन्याओं के सौभाग्य की वृद्धि के लिए किया जाने वाला अति महत्वपूर्ण एवं परम पुण्यदायक व्रत होता है ।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तानFri, 6 Sep 2024 01:50 AM
share Share

 

प्रत्येक वर्ष हरितालिका व्रत जिसे तीज व्रत भी कहा जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को एवं हस्त नक्षत्र में होता है। हरितालिका व्रत सुहागिन महिलाओ एवं अविवाहित कन्याओं के सौभाग्य की वृद्धि के लिए किया जाने वाला अति महत्वपूर्ण एवं परम पुण्यदायक व्रत होता है। हरितालिका तीज भाद्र पद शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को बड़े ही श्राद्ध पूर्वक माताओ ,बहनों द्वारा किया जाता है। यह व्रत अत्यन्त कठिन एवं पुण्यदायनी होता है।

हरतालिका तीज 2024 शुभ योग

इस वर्ष तृतीया तिथि का मान 5 सितंबर 2024 दिन गुरुवार को दिन में 10:04 बजे से प्रारम्भ होकर 6 सिंतबर 2024 दिन शुक्रवार को दिन में 12:08 बजे तक होगा । साथ ही हस्त नक्षत्र उदय कालिक तृतीया तिथि शुक्रवार को दिन में 08:09 बजे से तक रहेगा। अतः शाम को गौरी-शंकर के पूजन के समय चित्रा नक्षत्र ,शुक्ल योग, अमृत योगा तथा चंद्रमा कन्या राशि मे विद्यमान होकर अति शुभफल दायक होगा। रवि योग सुबह 9 बजकर 25 मिनट से लग रहा है, जो अगले दिन 7 सितंबर को सुबह 6 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगा। काशी के पंचांगों के अनुसार 6 सितंबर दिन शुक्रवार को सुबह में पूजा का मुहूर्त सूर्योदय 5 बजकर 47 मिनट से 8 बजकर 09 मिनट तक चित्रा नक्षत्र की उपस्थिति तक सर्वोत्तम है। क्योंकि मान्यता है कि तृतीया तिथि में हस्त नक्षत्र की उपस्थिति होने पर पूजा करने से हरितालिका तीज व्रत का पूर्ण शुभ फल प्राप्त होता है। इसके साथ ही प्रदोष काल यानी शाम के समय भी पूजा अर्चना किया जाता हैं। प्रदोष काल लगभग 05:45 से 6:45 बजे तक व्याप्त रहेगा।

चर चौघड़िया मुहूर्त: सुबह में 05:47 बजे से 07:20 बजे तक

लाभ चौघड़िया मुहूर्त:सुबह में 7:20 बजे से 08:54 बजे तक

अमृत चौघड़िया मुहूर्त:सुबह में 8:54 बजे से 10:27 बजे तक

शुभ मुहूर्त: दोपहर में 12:00 बजे से 01:34 बजे तक

चर-सामान्य मुहूर्त: शाम में 04:40 बजे से 06:13 बजे तक

इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां गौरी-शंकर की पूजा करती हैं। यह त्योहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है क्योंकि जहां करवाचौथ में चांद देखने के बाद व्रत पारण किया जाता है । वहीं इस व्रत में पूरे दिन निर्जला व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत का पारण किया जाता है। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुख पूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं।

सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने एवं अविवाहित युवतियां मनवांछित वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर को पति रूप में प्राप्ति के लिए रखा था। इस दिन विशेष रूप से गौरी−शंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही जगकर स्नान आदि से निवृत होकर पूरा श्रृंगार करती हैं। पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ ही भगवान गणेश की स्थापना कर चंदन, अक्षत, धूप दीप, फल फूल आदि से षोडशोपचार पूजन किया जाता है और पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें