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हरियाली तीज: शिव योग में मिलेगा महादेव की पूजा का दो गुना फल, जानें शिव-पार्वती पूजन टाइमिंग

  • हरियाली तीज प्रकृति से जुड़ने का पर्व हैं। हरियाली तीज का जब पर्व आता है तो हर तरफ हरियाली छा जाती है। पेड़ पौधे उजले- उजले नजर आने लगते हैं। हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।

Yogesh Joshi मुरादाबाद, हिन्दुस्तान टीमWed, 7 Aug 2024 06:37 AM
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हरियाली तीज सावन माह शुक्ल पक्ष की तृतीया यानि आज बुधवार को मनाई जाएगी। तीज का आरंभ 6 अगस्त की सायं 7 बजकर 42 मिनट पर हो गया और आज यानि 7 अगस्त की रात 10 बजकर 5 मिनट तक रहेगा। उदयतिथि होने के कारण हरियाली तीज आज बुधवार को ही मनाई जाएगी। इस दिन तीन शुभ योग का संयोग बन रहा है। हरि ज्योतिष संस्थान लाइनपार के ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा एवं हिमगिरि कालोनी निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित केदार नाथ मिश्रा ने बताया कि हरियाली तीज का व्रत भगवान शिव-पार्वती को समर्पित रहता है।

महिलाएं इस दिन व्रत रखकर सदा सुहागिन रहने और परिवार की सुख समृद्धि की कामना करती हैं। इस बार इस दिन परिघ योग, शिव योग और रवि योग बन रहा है। इस दिन रवि योग रात 8 बजकर 30 मिनट से 8 अगस्त की सुबह 5 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। परिघ योग प्रात: 5 बजकर 47 मिनट से सुबह 11 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। इसके बाद शिव योग आरंभ हो जाएगा। उन्होंने बताया शिव योग में भोलेनाथ की उपासना का दो गुना फल मिलता है।

पूजन सामग्री

गंगाजल, पूजा की चौकी, तांबे और पीतल का कलश, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पान, सुपारी, जनेऊ, कपूर, आक का फूल, कपूर, दूर्वा, जटावाल नारियल, बेलपत्र, अबीर, चंदन, मौली, इत्र, गुलाल, अक्षत, धूप, दीपक, शमी का पत्ता, धतूरे का फल, हल्दी, भांग, धतूरा, भस्म, पांच प्रकार के फल, मिठाई, पांच पल्लव, दक्षिणा, व्रत की पुस्तक पूजन सामग्री होनी चाहिए।

सुहाग की सामग्री

हरियाली तीज में माता पार्वती को चढ़ाने के लिए 16 श्रृंगार का सामान इसमें कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, माहौर, साड़ी होना चाहिए।

इन मंत्रों से करें माता पार्वती की आराधना

ऊं उमायै नम:

ऊं पार्वत्यै नम:

ऊं जगद्धात्र्यै नम:

ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:

ऊं शांतिरूपिण्यै नम:

ऊं शिवायै

पं डॉ कान्हा कृष्ण शुक्ल ने बताया कि भोलेनाथ के लिए इन मन्त्रों का जाप करें।

ऊं हराय नम:

ऊं महेश्वराय नम:

ऊं शम्भवे नम

ऊं शूलपाणये नम:

ऊं पिनाकवृषे नम:

ऊं शिवाय नम:

ऊं पशुपतये नम:

ऊं महादेवाय नम: ।

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