अद्भुत संयोग में हरियाली तीज आज, शिव-पार्वती संग होगा गणेश पूजन
- हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव और उनकी प्रिय पत्नी देवी पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इस पवित्र त्यौहार के अवसर पर महिलाएं देवी पार्वती को बेलपत्र, फूल, फल और हल्दी लगे चावल चढ़ाती हैं।
हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव और उनकी प्रिय पत्नी देवी पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इस पवित्र त्यौहार के अवसर पर महिलाएं देवी पार्वती को बेलपत्र, फूल, फल और हल्दी लगे चावल चढ़ाती हैं। वह अपने पति की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए देवी का आशीर्वाद लेने की प्रयास करती हैं। इस साल सावन की हरियाली तीज 7 अगस्त दिन बुधवार को मनाया जाएगी। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस वर्ष हरियाली तीज बुधवार के पड़ने के कारण शुभ माना जा रहा है. बुधवार को हरियाली का प्रतीक का दिन माना जाता है। इस दिन गणेश की पूजन करने का मुख्य दिन माना जाता है। गणेश जी का पूजन से सभी विघ्न दूर होते है।
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
शाहजहांपुर स्थित श्रीरुद्र बाला जी मंदिर के पुजारी पंडित केके शुक्ल ने बताया कि हरियाली तीज श्रावण शुक्ल तृतीया तिथि 6 जुलाई दिन मंगलवार सायं 06.11 बजे आरम्भ होगी और 7 जुलाई दिन बुधवार रात्रि 07.56 मिनट तक रहेगी। प्रदोष काल शाम 6.55 मिनट से रात 9.07 मिनट तक है।
शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाते हैं हरियाली तीज
हरियाली तीज प्रकृति से जुड़ने का पर्व हैं। हरियाली तीज का जब पर्व आता है तो हर तरफ हरियाली छा जाती है। पेड़ पौधे उजले- उजले नजर आने लगते हैं। हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। हरियाली तीज या श्रावणी तीज, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कहते हैं।
पूजा-विधि :
सुहागन स्त्रियां स्नान आदि से निवृत होकर मायके से आए हुए कपड़े पहन लें।
पूजा के शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर माता पार्वती के साथ भगवान शिव और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
मां पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री, साड़ी, अक्षत्, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें।
शिव जी को भांग, धतूरा, अक्षत, बेल पत्र, श्वेत फूल, गंध, धूप, वस्त्र आदि चढ़ाएं।
गणेश जी की पूजा करते हुए हरियाली तीज की कथा सुनें।
भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
भगवान को भोग अवश्य लगाएं।
हरियाली तीज की कथा :
पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती की वर्षो की साधना के बाद इस दिन भगवान शिव से मिली थी। मान्यता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था, लेकिन उन्हें महादेव नहीं मिले। जब 108वीं बार जन्म लिया तो उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की। ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि पर ही भगवान शिव मां पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।