Hanuman Janmotsav Date : हनुमान जन्मोत्सव कब है? नोट कर लें डेट, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त
- Hanuman Janmotsav Date : हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल 12 अप्रैल 2025, शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन हनुमानजी की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है। मंदिरों में हनुमान जी के जन्मोत्सव का भव्य आयोजन किया जाता है।

Hanuman Janmotsav Date : हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल 12 अप्रैल 2025, शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन हनुमानजी की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है। मंदिरों में हनुमान जी के जन्मोत्सव का भव्य आयोजन किया जाता है। भक्त पूरे विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसी पावन दिन त्रैता युग में हनुमान जी ने माता अंजनी की कोख से जन्म लिया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था।
मुहूर्त-
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 12, 2025 को 03:21 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - अप्रैल 13, 2025 को 05:51 ए एम बजे
हनुमान जी पूजा-विधि:
सबसे पहले मंदिर में घी की ज्योत प्रज्वलित करें। इसके बाद हनुमान जी का गंगा जल से अभिषेक करें। अभिषेक करने के बाद एक साफ वस्त्र से हनुमान जी की प्रतिमा को पोछें। अब सिंदूर और घी या चमेली के तेल को मिला लें। इसके बाद हनुमान जी को चोला चढ़ाएं। चोला चढ़ाने से पहले हनुमान जी को जनेऊ पहनाएं। सबसे पहले हनुमान जी के बाएं पांव में चोला चढ़ाएं। हनुमान जी को चोला चढ़ाने के बाद चांदी या सोने का वर्क भी चढ़ा दें। चोला चढ़ाने के बाद आप हनुमान जी को नए वस्त्र पहनाएं। इसके बाद हनुमान जी की आरती भी अवश्य करें। हनुमान चालीसा का एक से अधिक बार पाठ करें। हनुमान जी को भोग भी लगाएं।
पूजन सामग्री की लिस्ट-
सिंदूर
घी या चमेली का तेल
चांदी या सोने का वर्क
वस्त्र
जनेऊ
हनुमान जन्मोत्सव से जुड़ी पौराणिक कथा- पौराणिक कथाओं के अनुसार, अंजना एक अप्सरा थीं। जिनका श्राप के कारण पृथ्वी पर जन्म हुआ था और यह श्राप उनपर तभी हट सकता था जब वे एक संतान को जन्म देतीं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार महाराज केसरी बजरंगबली जी के पिता थे। वे सुमेरू के राजा थे और केसरी बृहस्पति के पुत्र थे। अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों की भगवान शिव की घोर तपस्या की और परिणाम स्वरूप उन्होंने संतान के रूप में हनुमानजी को प्राप्त किया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी भगवान शंकर के रूद्र अवतार हैं।
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