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गुरु प्रदोष व्रत कब है? जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजाविधि और व्रत के नियम

  • Pradosh Vrat July 2024 : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का दिन भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित होता है। आषाढ़ महीने का दूसरा प्रदोष 18 जुलाई को है। मान्यता है कि इस दिन शिवजी की पूजा करने से सभी मुरादे पूरी होती हैं।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीFri, 12 July 2024 09:03 AM
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Guru Pradosh Vrat July 2024 : सनातन धर्म में हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। शिव-आराधना के लिए यह विशेष दिन माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से साधक की मनचाही मुरादे पूरी होती हैं। जुलाई माह का दूसरा प्रदोष व्रत बेहद खास होने वाला है। पंचांग के अनुसार, इस साल बेहद शुभ संयोग में 18 जुलाई दिन गुरुवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। गुरुवार के दिन पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। आइए जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत का सही डेट, शुभ मुहूर्त,पूजाविधि और व्रत के नियम ...

कब है गुरु प्रदोष व्रत ?

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 18 जुलाई को रात 8:44 पीएम पर होगा और अगले दिन यानी 19 जुलाई 2024 को रात 08 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगा। इसलिए शिवपूजा के मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए 18 जुलाई को ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

गुरु प्रदोष व्रत पर बनेंगे कई शुभ संयोग : 18 जुलाई को ब्रह्म योग,रवि योग, शुक्ल योग और ज्येष्ठा नक्षत्र समेत कई अद्भुत संयोग में प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन शिव पूजा का शुभ मुहूर्त रात 8 :44 पीएम से लेकर रात 9:23 पीएम तक रहेगा।

शुक्ल योग : सुबह 06:13 एएम तक 18 जुलाई 2024

ब्रह्म योग : सुबह 04 :45 एएम तक 19 जुलाई 2024

ज्येष्ठा नक्षत्र - 03:25 ए एम, जुलाई 19 तक

रवि योग : 03:25 ए एम, 19 जुलाई 2024 से 05:35 ए एम, 19 जुलाई 2024 तक

पूजाविधि :

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। मंदिर की साफ-सफाई करें। इसके बाद शिवजी की प्रतिमा पर फल, फूल और नेवैद्य अर्पित करें। शिवजी के समक्ष घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें। शिवलिंग पर जलाभिषेक करें। इसके बाद सायंकाल में घर के मंदिर में शिवलिंग के पास दीपक जलाएं। शिवलिंग पर लोटे में जल भरकर बेलपत्र, भांग, आक के फूल अर्पित करें। इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें। शिवजी के बीज मंत्र 'ऊँ नमः शिवाय' का जाप करें। अंत में शिव-गौरी के साथ सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें और अंत में पूजा में जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।

प्रदोष व्रत के नियम :

इस दिन व्रती को अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

प्रदोष व्रत में तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

प्रदोष व्रत में चावल और नमक के सेवन की मनाही होती है।

इस दिन पूजा में सिंदूर, हल्दी, तुलसी और केतकी के फूल का उपयोग न करें।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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