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Goverdhan Puja 2024 :3 शुभ योगों में गोवर्धन पूजा कल, नोट कर लें शुभ मुहूर्त और पूजाविधि

  • Goverdhan Puja 2024 Date and Shubh Yog : इस साल 02 नवंबर को 3 शुभ योगों में गोवर्धन पूजा मनाया जाएगा। इस दिन गोवर्धन पर्वत,गाय और कृष्ण जी पूजा करना शुभ माना जाता है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 1 Nov 2024 10:15 AM
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Goverdhan Puja 2024 : गोवर्धन पूजा का पर्व उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि मनाते हैं। इस दिन गोवर्धन पर्वत, गाय और कृष्णजी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रीकृष्ण भगवान ने ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने उंगलियों पर उठा लिया था। इस पर्व को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल 02 नवंबर 2024 को गोवर्धन पूजा मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा के दिन कृष्णजी को अनाज का भोग लगाया जाता है। गाय और बैलों की पूजा की जाती है और गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा और परिक्रमा की जाती है। आइए जानते हैं गोवर्धन पूजा की सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि...

गोवर्धन पूजा की सही तिथि : द्रिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 01 नवंबर 2024 को शाम 06 : 16 पीएम पर शुरू होगी और अगले दिन 02 नवंबर 2024 को रात 08: 21 पीएम पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, 02 नवंबर को गोवर्धन पूजा की जाएगी। इस साल सौभाग्य योग, आयुष्मान योग और त्रिपुष्कर योग समेत 3 शुभ योगों में गोवर्धन पूजा की जाएगी।

गोवर्धन पूजा के दिन सुबह 11 बजकर 19 तक एएम तक आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है। सौभाग्य योग पूरे दिन रहेगा। वहीं, 02 नवंबर को रात 08: 21 पीएम से लेकर 03 नवंबर को 05: 58 एएम तक त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है।

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त :

सुबह पूजा का शुभ मुहूर्त : 06:21 बजे से 08: 37 बजे तक

शाम को पूजा का शुभ मुहूर्त : 03:12 बजे से 05:24 बजे तक

पूजाविधि :

गोवर्धन पूजा के दिन एक जगह एकत्रित होकर कृष्णजी और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। सुबह उठकर भगवान कृष्ण का एक ऐसा चित्र जिसमें वे गोवर्धन पर्वत हाथ में धारण किए उसकी प्रतिमा रखकर पूजा करें। सुबह जल्दी उठकर घर की मुख्यद्वार पर गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर उसके समीप कृष्ण की सम्मुख गाय, ग्वाल-बालों की रोली, चावल, फूल, जल, मौली, दही और तेल का दीपक जलाकर पूजा और परिक्रमा की जाती है। कृष्णजी को 56 भोग लगाएं। गाय-बैलों की धूप -चंदन, फूल माला पहनाकर पूजन करें। गौमाता को फल और मिठाई खिलाकर आरती उतारें।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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