Govardhan Puja Katha Kahani : गोवर्धन पूजा कल, जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा
- गोवर्धन पूजा का पावन पर्व हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस साल 2 नवंबर गोवर्धन पूजा है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, गोवर्धन और गायों की पूजा का विशेष महत्व होता है।
गोवर्धन पूजा का पावन पर्व हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, गोवर्धन और गायों की पूजा का विशेष महत्व होता है। गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान को अन्नकूट का भोग भी लगाया जाता है, जिस वजह से गोवर्धन पूजा को ‘अन्नकूट पूजा’ भी कहा जाता है। इस साल 2 नवंबर गोवर्धन पूजा है। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण को 56 या 108 तरह के पकवानों का भोग भी लगाया जाता है। इस पावन दिन ये कथा जरूर पढ़ें-
Govardhan Puja Katha : श्री कृष्ण ने देखा कि सभी बृजवासी इंद्र की पूजा कर रहे थे। जब उन्होंने अपनी मां को भी इंद्र की पूजा करते हुए देखा तो सवाल किया कि लोग इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? उन्हें बताया गया कि वह वर्षा करते हैं जिससेअन्न की पैदावार होती और हमारी गायों को चारा मिलता है। तब श्री कृष्ण ने कहा ऐसा है तो सबको गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गायें तो वहीं चरती हैं।
उनकी बात मान कर सभी ब्रजवासी इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और प्रलय के समान मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा कर ब्रजवासियों की भारी बारिश से रक्षा की थी। इसके बाद इंद्र को पता लगा कि श्री कृष्ण वास्तव में विष्णु के अवतार हैं और अपनी भूल का एहसास हुआ। बाद में इंद्र देवता को भी भगवान कृष्ण से क्षमा याचना करनी पड़ी। इन्द्रदेव की याचना पर भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और सभी ब्रजवासियों से कहा कि अब वे हर साल गोवर्धन की पूजा कर अन्नकूट पर्व मनाए। तब से ही यह पर्व गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है।
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