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Govardhan Puja 2024 Date : गोवर्धन पूजा कब है? नोट कर लें डेट, पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त

  • Govardhan Puja 2024 Kab Hai: गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को की जाती है। इसमें भगवान कृष्ण गाय और बैलों का पूजन करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के निर्मित दीपक जलाकर अन्नकूट का प्रसाद अर्पित करते हैं।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 31 Oct 2024 09:55 PM
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Govardhan Puja 2024 Kab Hai: गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को की जाती है। इसमें भगवान कृष्ण गाय और बैलों का पूजन करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के निर्मित दीपक जलाकर अन्नकूट का प्रसाद अर्पित करते हैं। शाम को राजा बली और भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को होगी। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान गोवर्धन और श्री कृष्ण की पूजा करने से जीवन में आने वाले कष्ट दूर हो जाते हैं। घर में मां लक्ष्मी का वास स्थापित होता है। गोवर्धन भगवान का आशीर्वाद मिलता है। घर की उन्नति होती है, सुख-समृद्धि आती है। घर में सकारात्मकता का संचार होने लगता है। आर्थिक स्थिति मजबूत होती है, तंगी और कर्ज जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं, सौभाग्य में वृद्धि होती है, घर धन-धान्य से भरा रहता है।

मुहूर्त-

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 01, 2024 को 06:16 पी एम बजे

प्रतिपदा तिथि समाप्त - नवम्बर 02, 2024 को 08:21 पी एम बजे

गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त - 06:34 ए एम से 08:46 ए एम

अवधि - 02 घण्टे 12 मिनट्स

गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त - 03:23 पी एम से 05:35 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 12 मिनट्स

गोवर्धन पूजा विधि -

- सबसे पहले घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाएं।

- इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें।

- कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान सेसच्चेदिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है।

- भगवान श्री कृष्ण का अधिक से अधिक ध्यान करें।

- इस दिन भगवान को 56 या 108 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाने की परंपरा भी है।

- भगवान श्री कृष्ण की आरती करें।

पूजा सामग्री : गोवर्धन पूजा में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और ग्वाल बाल बनाए जाते हैं जिसके पास भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रखकर धूप दीप से उनकी आरती कर उन्हें ताजे फूल अर्पित किए जाते हैं, जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन अलग अलग तरह के भोग लगाएं जाते हैं और साथ ही साथ दूध, घी, शक्कर, दही और शहद से बना पंचामृत चढ़ाया जाता है।

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