Ganesh Ji Ki Aarti : गणेश जी की आरती, जय गणेश, जय गणेश देवा...
- भगवान श्रीगणेश की कृपा से सभी बिगड़े काम भी बन जाते हैं। भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए उनकी आरती जरूर करें। भगवान की आरती करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
बुद्धि, शुभता व सिद्धि के दाता भगवान गणेश का 10 दिवसीय उत्सव का आरंभ भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से होता है। इस साल 7 सितंबर से भगवान गणेश का 10 दिवसीय उत्सव का आरंभ होगा। भगवान गणपति की उपासना से हर काम सिद्ध होते हैं और ऐश्वर्य की प्राप्ति, जीवन के विघ्न बाधा को दूर कर मनोकामना पूर्ण होती है। भगवान श्रीगणेश की कृपा से सभी बिगड़े काम भी बन जाते हैं। भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए उनकी आरती जरूर करें। भगवान की आरती करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। आगे पढ़ें भगवान श्री गणेश की आरती-
भगवान श्री गणेश की आरती-
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।
॥ श्री गणपतीची आरती ॥
सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुन्दर उटि शेंदुराची।
कण्ठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती॥
रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा।
चन्दनाची उटि कुंकुमकेशरा।
हिरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती॥
लम्बोदर पीताम्बर फणिवर बन्धना।
सरळ सोण्ड वक्रतुण्ड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवरवन्दना॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती॥
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