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Ganesh Jayanti 2025:गणेश जयंती आज, नोट कर लें शुभ मुहूर्त, पूजाविधि, मंत्र और महत्व

  • Ganesh Jayanti 2025: आज गणेश जयंती है। इस दिन को गणेशजी के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गणेशजी की पूजा-अर्चना और व्रत से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में खुशियां आती हैं।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 1 Feb 2025 08:50 AM
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Ganesh Jayanti 2025:गणेश जयंती आज, नोट कर लें शुभ मुहूर्त, पूजाविधि, मंत्र और महत्व

Ganesh Jayanti 2025: सनातन धर्म में गणेशजी को प्रथम पूजनीय देवता माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि गणेशजी की विधि-विधान से पूजा करने पर साधक के सभी विघ्न दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। मानसिक शांति की प्राप्ति होती हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। महाराष्ट्र और कोंकण में माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। यह पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जबकि अन्य स्थानों पर भाद्र माह की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाया जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल 1 फरवरी को गणेश जयंती मनाई जाएगी। इसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि गणेश जयंती के दिन गणेशजी की पूजा-आराधना और मंत्रों के जाप से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं गणेश जयंती का शुभ मुहूर्त, सामग्री लिस्ट, पूजाविधि, मंत्र और धार्मिक महत्व...

गणेश जयंती कब है?

द्रिक पंचांग के अनुसार,माघ महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 01 फरवरी 2025 को सुबह 11 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 2 फरवरी को सुबह 09 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में 1 फरवरी को गणेश जयंती मनाई जाएगी।

पूजा का शुभ मुहूर्त : इस दिन सुबह 11 बजकर 38 मिनट से लेकर 01 बजकर 40 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।

गणेश जयंती 2025: पूजाविधि

गणेश जयंती के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। घर के मंदिर को साफ करें। एक छोटी चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। अब इस पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें। गणेशजी को फल, फूल, धूप,दीप, अक्षत और दूर्वा अर्पित करें। अब विधि-विधान से गणेशजी की पूजा करें। मंत्रों का जाप करें। उन्हें मोदक, लड्डू या तिल के लड्डू का भोग लगा सकते हैं। इसके बाद गणेशजी की आरती उतारें। सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें। दिनभर फलाहार व्रत रखें। शाम को गणेशजी की फिर से पूजा करें और रात में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को जल अर्घ्य दें। इसके बाद व्रत का पारण करें।

गणेशजी का मंत्र :

1.ऊँ गं गणपतये नमः

2.ऊँ वक्रतुण्डाय हुं

3.ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा

गणेश जयंती का महत्व : हिंदू धर्म में गणपति बप्पा को विघ्नहर्तमा माना गया है। मान्यता है कि गणेशजी की पूजा-अर्चना से जीवन की सभी विघ्न-बाधाएं समाप्त होती है और धन, वैभव और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को अपने उबटन से गणेश जी को उत्पन्न किया था। इसलिए इस दिन को गणेशजी के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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