गणेश चतुर्थी पर 2 शुभ मुहूर्त में करें शाम की पूजा, नोट करें गणेश जी की आरती, पूजाविधि
Ganesh Chaturthi 2024 Muhurat : संध्याकाल में पूजा करना पुण्यदायक व जरूरी माना जाता है। कई भक्तजन गणेश चतुर्थी पर संध्या पूजन व आरती करते हैं। जानें गणेश पूजा का शाम का मुहूर्त व विधि-
आज गणेश चतुर्थी है। हर साल भाद्रपद माह की शुल्क पक्ष चतुर्थी पर गणेश जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। आज से लेकर अनंत चतुर्दशी तक पूरे विधि-विधान से गणेश जी की उपासना की जाएगी। गणेश पुराण व स्कन्द पुराण के अनुसार, गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के दौरान शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन हुआ था। हिन्दू धर्म में संध्याकाल में पूजा करना पुण्यदायक व जरूरी माना जाता है। कई भक्तजन गणेश चतुर्थी पर संध्या पूजन व आरती करते हैं। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी की पूजा का शाम का मुहूर्त व विधि-
कब तक रहेगी चतुर्थी तिथि: ज्योतिषाचार्य पंडित आशुतोष त्रिवेदी के अनुसार, आज संध्याकाल 5 बजकर 37 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त होगी।
गणेश चतुर्थी संध्या पूजन मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसार, 7 सितंबर के दिन, गोधूलि मुहूर्त शाम 06:35 बजे से शाम 06:58 बजे तक रहेगा। वहीं, अमृत चौघड़िया मुहूर्त 03:27 पी एम से 05:01 पी एम तक व लाभ चौघड़िया मुहूर्त शाम 06:35 बजे से शाम 08:01 बजे रक रहेगा। ऐसे में शाम की पूजा इन दो शुभ मुहूर्त में करना अति उत्तम रहेगा।
पूजन सामग्री की लिस्ट- घी का दीपक, शमी पत्ता, गंगाजल, पंचामृत, सुपारी, जनेऊ, लड्डू या मोदक, पीला चंदन, अक्षत, धूप, फल, फूल, दूर्वा आदि।
गणेश चतुर्थी पर कैसे करें पूजा?
गणपति की पूजा करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले घर, मंदिर साफ करें और स्नान करने के बाद साफ वस्त्र पहनें। पूजन सामग्री लेकर पूर्व दिशा की ओर मुख कर शुद्ध आसन पर बैठ जाएं। अपने घर के उत्तर भाग या पूर्वोत्तर भाग में भी गणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति रख सकते हैं और दक्षिण पूर्व में दीपक जलाएं। अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ऊँ पुण्डरीकाक्षाय नमः मंत्र का जाप करें। भगवान गणेश को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं। मूर्ति स्थापित करने के बाद गणेश जी को गंगाजल एवं पंचामृत से स्नान कराएं। उन्हें वस्त्र, जनेऊ, चंदन, दूर्वा, अक्षत, धूप, दीप, शमी पत्ता, पीले पुष्प और फल चढ़ाएं। गणेश चालीसा का पाठ करें। श्रद्धा अनुसार भोग लगाएं। अंत में गणेश जी की आरती करें और मनोकामना पूर्ति के लिए आशीर्वाद व क्षमा मांगे। गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर विधिपूर्वक पूजन की परम्परा निभानी चाहिए, जो अधिक लाभदायक होता है।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
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