आप भी नहीं जानते अपना गोत्र? इसके बिना अधूरी है कोई भी पूजा
Gotra meaning and history: हिंदू धर्म में गोत्र का अपना अलग ही महत्व है। विवाह या फिर किसी भी तरह की पूजा-पाठ से पहले अपने गोत्र का जानना बहुत जरूरी है।

Know Your Gotra: ऐसा कई बार हुआ है कि किसी पूजा के वक्त या फिर किसी मंदिर में आशीर्वाद देते वक्त पंडित जी गोत्र पूछ लेते हैं। ऐसे में अक्सर कई लोगों को पता ही नहीं होता है कि आखिर उनका गोत्र क्या है? कुछ लोग घर पर फोन घुमाने लगते हैं तो वहीं कई लोग 'ये तो नहीं मालूम' कहकर आगे बढ़ जाते हैं। अगर आप अपना गोत्र जानते हैं तो फिर तो बहुत ही अच्छी बात है, लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। कुछ बातों का ध्यान रखकर आप भी आसानी से अपने गोत्र का पता लगा सकते हैं और आगे चलकर तमाम तरह के पूजा-पाठ के वक्त ये काफी काम भी आएगा। तो सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर गोत्र क्या है और इसके बिना कोई पूजा क्यों अधूरी रहती है?
क्या होता है गोत्र?
हमारे हिंदू धर्म और ग्रंथों में गोत्र की काफी मान्यता है। गोत्र शब्द का मतलब होता है- वंश या फिर कुल। मोटे तौर पर इतना समझ लें कि किसी भी इंसान की पहचान सिर्फ उसके नाम या गांव से ही नहीं होती है। नाम और गांव की तरह ही गोत्र भी किसी व्यक्ति के पहचान का हिस्सा ही होती है जो उसे उसके पूर्वज और वंश से जोड़ने का काम करती है। हजारों-लाखों साल पहले ऋषि-मुनियों के नाम पर ही गोत्र बनाए गए, जिसका प्रचलन अब तक है।
क्यों जरूरी होता है गोत्र?
हिंदू धर्म के अनुसार एक ही गोत्र के लोग आपस में शादी नहीं कर सकते हैं। एक ही गोत्र में आने वाले लोग भाई-बहन माने जाते हैं और ऐसे में ये विवाह वर्जित होते हैं। ऐसे में विवाह से पहले गोत्र का जानना बहुत जरूरी है। इसी के साथ गोत्र का सबसे ज्यादा जानना तब भी जरूरी होता है जब पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। विवाह और श्राद्ध ही नहीं बल्कि उपनयन संस्कार, धार्मिक अनुष्ठान और छोटी-मोटी पूजा-पाठ के वक्त भी अपने गोत्र का जानना जरूरी है।
प्रमुख गोत्रों के नाम
सात ऋषि-मुनियों के नाम पर मुख्य गोत्रों के नाम रखे गए हैं। इनके नाम हैं- वशिष्ठ, विश्वामित्र, कश्यप, गौतम, भारद्वाज, भृगु और अत्री।
कैसे जान सकते हैं अपना गोत्र?
अपने गोत्र का पता लगाने के लिए हमें अपने परिवार के हिस्ट्री जाननी जरूरी है। अपने घर के बड़े-बुजुर्गों से अपना गोत्र पूछ लें। अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है तो आप किसी ज्योतिष से परामर्श करके अपना गोत्र जान सकते हैं। वहीं हरिद्धार और इलाहाबाद में स्थिक कई पुराने ज्योतिषियों के पास वंशावली का एक रिकॉर्ड होता है, वहां पहुंचकर भी आप अपने गोत्र का पता आसानी से लगा सकते हैं।