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Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025:द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कल, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र,भोग और पूजाविधि

  • Sankashti Chaturthi 2025: फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन गणेशजी के द्विजप्रिय स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इससे साधक की सभी दुख-बाधा समाप्त होती है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 15 Feb 2025 08:14 AM
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Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025:द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कल, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र,भोग और पूजाविधि

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: फाल्गुन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाया जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल 16 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन गणेशजी के द्विजप्रिय स्वरूप की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन सुहागिन महिलाएं संतान की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए व्रत रखती है। धार्मिक मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने से साधक के सभी दुख-कष्ट दूर होते हैं और साधक पर गणेशजी की कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, भोग और पूजाविधि...

कब है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी?

द्रिक पंचांग के अनुसार,फागुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 15 फरवरी को रात 11 बजकर 52 मिनट पर होगी और 17 फरवरी को सुबह 02 बजकर 15 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 16 फरवरी 2025 को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025: शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त:05:16 ए एम से 06:07 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त:12:13 पी एम से 12:58 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त:06:10 पी एम से 06:35 पी एम तक

अमृत काल :09:48 पी एम से 11:36 पी एम तक

विजय मुहूर्त :02:28 पी एम से 03:12 पी एम तक

पूजाविधि :

द्विजप्रिय संकष्टी के दिन सुबह जल्दी उठें।

स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें।

अब मंदिर की साफ-सफाई करें।

बासी फूलों को हटा दें।

एक छोटी चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं।

गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें।

गणेशजी की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं।

अब गणेशजी को फल,फूल, दूर्वा, अक्षत,रोली, चंदन,धूप,दीप और नैवेद्य अर्पित करें।

गणेशजी के मंत्रों का जाप करें। गणेश चालीसा का पाठ करें।

संभव हो, तो दिनभर व्रत रहें और रात में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।

भोग : द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेशजी को बूंदी के लड्डू , नारियल, दूध और ताजे फलों का भोग लगा सकते हैं।

गणेशजी का मंत्र

1.ऊँ गं गणपतये नमः

2.ऊँ वक्रतुण्डाय हुं

3.ऊँ एकदंताय नमः

4.ऊँ लंबोदराय नमः

5.ऊँ विघ्ननाशाय नमः

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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