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दिवाली 2024 आरती संग्रह : दिवाली पर करें लक्ष्मी-गणेश, मां सरस्वती और कुबेर देव की आरती

  • Diwali 2024 Aarti: आज दीपावली है। दिवाली के दिन शाम के समय लक्ष्मी-गणेश, कुबेर देव और सरस्वती माता की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान उनकी आरती जरूर करें। यहां देखें आरती संग्रह…

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 31 Oct 2024 02:53 PM
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Diwali 2024 Laxmi-Ganesh, Saraswati,Kuber dev Aarti : हिंदू धर्म में हर साल कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली मनाई जाती है, लेकिन इस साल पंचांग में तिथियों के घटने- बढ़ने के कारण दो दिन 31 अक्टूबर 2024 और 1 नवंबर को रोशनी का पर्व दीपोत्सव मनाया जा रहा है। दिवाली के दिन प्रभु श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या नगरी वापस लौटे थे। इस खुशी में समस्त नगरवासियों ने खुशी के दीप जलाए थे और प्रभु श्रीराम का स्वागत किया था। दिवाली के दिन शाम को लक्ष्मी-गणेश, सरस्वती माता, काली मां और कुबेर देवता की पूजा-आराधना बेहद शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इससे धन सुख-समृद्धि और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद मिलता है। दिवाली पर पूजन के दौरान मां लक्ष्मी, गणेशजी, सरस्वती मां और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। साथ ही इनकी आरती जरूर उतारें। आइए जानते हैं कि दिवाली की आरती...

मां लक्ष्मी की आरती :

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत,

मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

गणेशजी की आरती :

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,

माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,

लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।

'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

मां सरस्वती की आरती :

ॐ जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।

सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।

सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥

बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।

शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥

देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।

पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥

विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।

मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥

धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।

ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥

मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।

हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।

सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

कुबेर जी की आरती-

ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,

स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।

शरण पड़े भगतों के,

भण्डार कुबेर भरे।

॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,

स्वामी भक्त कुबेर बड़े।

दैत्य दानव मानव से,

कई-कई युद्ध लड़े ॥

॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥

स्वर्ण सिंहासन बैठे,

सिर पर छत्र फिरे,

स्वामी सिर पर छत्र फिरे।

योगिनी मंगल गावैं,

सब जय जय कार करैं॥

॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥

गदा त्रिशूल हाथ में,

शस्त्र बहुत धरे,

स्वामी शस्त्र बहुत धरे।

दुख भय संकट मोचन,

धनुष टंकार करे॥

॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥

भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,

स्वामी व्यंजन बहुत बने।

मोहन भोग लगावैं,

साथ में उड़द चने॥

॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥

यक्ष कुबेर जी की आरती,

जो कोई नर गावे,

स्वामी जो कोई नर गावे ।

कहत प्रेमपाल स्वामी,

मनवांछित फल पावे।

॥ इति श्री कुबेर आरती ॥

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