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Dhanu Sankranti 2024 :धनु संक्रांति कब है? जानें इस दिन का महत्व और नियम

  • Dhanu Sankranti 2024 : दृक पंचांग के अनुसार, इस साल 15 दिसंबर 2024 को धनु संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन से ही खरमास महीने की शुरुआत होती है। हिंदू धर्म में इस दौरान मांगलिक कार्यों की मनाही होती है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 9 Dec 2024 01:32 PM
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Dhanu Sankranti 2024 : ग्रहों के राजा सूर्य प्रत्येक माह एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं। सूर्य ग्रह जब राशि बदलते हैं तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है। जैसे सूर्य के धनु राशि या मकर राशि में प्रवेश करने पर धनु संक्रांति या मीन संक्रांति कहा जाएगा। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब सूर्यदेव धनु राशि में रहते हैं, तो उस काल को मलमास या खरमास के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान सूर्य का प्रकाश कम हो जाता है। दृक पंचांग के अनुसार, 15 दिसंबर को सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए 15 दिसंबर को धनु संक्रांति मनाई जाएगी और सूर्यदेव 14 जनवरी 2025 तक धनु राशि में ही विराजमान रहेंगे। हिंदू धर्म में इस अवधि में मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। आइए जानते हैं धनु संक्रांति की सही तिथि, इस दिन का महत्व और नियम...

कब है धनु संक्रांति?

दृक पंचांग के अनुसार, सूर्यदेव 15 दिसंबर 2024 दिन रविवार को रात 10 बजकर 19 मिनट पर वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में गोचर करेंगे और 14 जनवरी 2025 को सुबह 09 बजकर 03 मिनटतक मकर राशि में ही उपस्थित रहेंगे।

धनु संक्रांति का महत्व?

हिंदू धर्म में धनु संक्रांति का विशेष महत्व है। सूर्य के राशि बदलने के साथ मौसम में भी परिवर्तन आता है। धनु संक्रांति के समय उत्तरी गोलार्ध में शीतकाल आरंभ हो जाता है। यह दिन सूर्यदेव की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनु संक्रांति के दिन धर्म-कर्म के कार्यों से घर में सुख-समृद्धि आती है। धनु संक्रांति से ही खरमास की शुरुआत होती है और इस दिन से ही मांगलिक कार्यों पर रोक लगाई जाती है। खरमास के दौरान शादी-विवाद, सगाई, मुंडन संस्कार समेत सभी शुभ कार्यों की मनाही होती है।

क्या करें?

धनु संक्रांति से नियमित सूर्यदेव की पूजा करें और सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें।

इस दिन पवित्र नदीं में स्नान करने का भी महत्व है।

धनु संक्रांति के दिन गायों को हरा चारा खिलाना चाहिए।

इस दिन सत्यनारायण कथा सुनना लाभकारी माना गया है।

महामृत्युंजय मंत्र और गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें।

गरीबों और जरुरतमंदों को क्षमतानुसार अन्न-धन का दान करें।

क्या न करें?

खरमास की अवधि के दौरान विद्या आरंभ, नामकरण, कर्ण छेदन, अन्न पाशन, विवाह संस्कार, गृह-प्रवेश और वास्तु पूजन समेत किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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