धनतेरस पर आज काशी में विराजमान स्वर्ण अन्नपूर्णा के दर्शन, मां का प्रसाद रखने से पूरे वर्ष धन की नहीं होती कमी
Dhanteras kashi doors of Maa Annapurna temple काशी में विराजमान स्वर्ण अन्नपूर्णा के दर्शन और उनके खजाने की लालसा दीपपर्व पर भी लोगों को अपने घरों से सैकड़ों-हजारों किमी दूर काशी ले आती है। दक्षिण भारत से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के खजाने
काशी में विराजमान स्वर्ण अन्नपूर्णा के दर्शन और उनके खजाने की लालसा दीपपर्व पर भी लोगों को अपने घरों से सैकड़ों-हजारों किमी दूर काशी ले आती है। दक्षिण भारत से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के खजाने की आस में दीपावली पर काशी पहुंचने लगे हैं।
काशी में विराजमान स्वर्ण अन्नपूर्णा के दर्शन और उनके खजाने की लालसा दीपपर्व पर भी लोगों को अपने घरों से सैकड़ों-हजारों किमी दूर काशी ले आती है। दक्षिण भारत से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के खजाने की आस में दीपावली पर काशी पहुंचने लगे हैं।
आलम यह होता है कि धनतेरस से अन्नकूट तक मंदिर से दूर तक भक्तों की कतार लग जाती है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में स्थित मां अन्नपूर्णा का दरबार धनतेरस पर 29 अक्तूबर को विराट आरती के बाद खोला जाएगा। यह देश का एकमात्र अन्नपूर्णा का मंदिर है जहां धनतेरस से अन्नकूट तक मां के खजाने का वितरण होता है। यूं तो प्रतिवर्ष चार दिन ही यह अवसर प्राप्त होता है लेकिन इस वर्ष दो दिन अमावस्या होने से भक्तों को पांच दिन दर्शन लाभ मिलेगा। पिछले वर्ष भी तिथि वृद्धि के कारण पांच दिन दर्शन मिले थे। वहीं 2022 में दीपावली के दिन सूर्यग्रहण के कारण मात्र तीन दिन ही भक्त दर्शन कर पाए थे। महंत शंकरपुरी ने बताया कि अन्नपूर्णा मंदिर से मिले सिक्के और धान के लावा को लोग तिजोरी और पूजा स्थल पर रखते हैं। मान्यता है कि मां का प्रसाद तिजोरी और पूजा स्थल पर रखने से पूरे वर्ष धन और अन्न की कमी नहीं होती।
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