Chitragupta Puja 2024 : चित्रगुप्त पूजा कल, जानें महत्व और पूजा का समय
- कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया पर भाई दूज के पावन पर्व के साथ ही चित्रगुप्गुत व कलम दवात की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री चित्रगुप्गुत जी की उत्पत्ति सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी की काया से हुई थी।
Chitragupta Puja 2024 : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया पर भाई दूज के पावन पर्व के साथ ही चित्रगुप्गुत व कलम दवात की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री चित्रगुप्गुत जी की उत्पत्ति सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी की काया से हुई थी। चित्रगुप्गुत देवताओं के लेखापाल हैं और मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखतेहैं। उनकी पूजा के दिन नई कलम दवात या लेखनी की पूजा उनके प्रतिरूप के तौर पर की जाती है। लेखनी की पूजा सेवाणी और विद्या का वरदान मिलता है। कायस्थ या व्यापारी वर्ग के लिए चित्रगुप्गुत पूजा दिन से ही नववर्ष का आगाज माना जाता है। इस दिन व्यापारी नए बही खातों की पूजा करते है। नए बहीखातों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है। रविवार 3 नवंबर को चित्रगुप्गुत पूजा उल्लास के साथ मनाई जाएगी।
चित्रांशों के आराध्य देव है भगवान चित्रगुप्त: भगवान चित्रगुप्गुत चित्रांशों के आराध्य देव हैं। पर वे सभी के लेखनी की इच्छा-कामना को सहज ही पूर्ण करतेहैं। ऐसे तो चित्रांश सहित कितने ही जन देव श्री चित्रगुप्गुत की नित्य आराधना किया करते हैं, पर हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को इनका वार्षिक उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। पद्य पुराण, स्कन्द पुराण, बह्मपुराण, यम संहिता व याज्ञवलक्य स्मृति सहित कई धार्मिक ग्रंथों में भगवान चित्रगुप्गुत का विवरण आया है। भगवान चित्रगुप्गुत की उत्पत्ति सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी की काया से हुई है। ब्रह्मा जी की काया से संबंध होनेके कारण इस वंश को कायस्थ कहा गया। चित्रगुप्गुत महाराज देवताओं के लेखपाल यानी मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा करने वाले हैं। चित्रगुप्गुत जी की उत्पत्ति की एक और कथा है कि देवताओं और असुरों ने अमृत के लिए समुद्र मंथन किया था, तो उसमें कुल 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी। उसी में लक्ष्मी जी के साथ चित्रगुप्गुत जी की भी उत्पत्ति हुई थी। मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्गुत ने ज्वालामुखी, चण्डी देवी व महिषासुर मर्दिनी की पूजा-अर्चना और साधना कर एक आदर्श कायम किया था। देवलोक में भगवान चित्रगुप्गुत की प्रतिष्ठा धर्मराज के रूप में है।
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