नहाय-खाए के साथ 5 नवंबर से शुरू होगा छठ पर्व, जानें पूजा- विधि
- पांच नवंबर को नहाय-खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत हो रही है और चार दिन तक यह पर्व चलेगा। आठ नवंबर को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पर्व संपन्न होगा। उदयगामी एवं अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
पांच नवंबर को नहाय-खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत हो रही है और चार दिन तक यह पर्व चलेगा। आठ नवंबर को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पर्व संपन्न होगा। उदयगामी एवं अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। घरों में आस्था के पर्व को लेकर श्रद्धालुओं ने भी तैयारी शुरू कर दी है। चार दिन तक यह पर्व चलेगा और पूरी आस्था के साथ लोग इस पर्व को मनाते हैं। महिला एवं पुरूष दोनों छठ पर्व के व्रत को रखते हैं। घरों में ही श्रद्धालुओं द्वारा छठ मैय्या की पूजा अर्चना की जाती है। इसके बाद छह नवंबर को खरना होगा। इसमें व्रती एक समय मीठा भोजन करती हैं। गुड़ के चावलों की खीर इस दिन बनती है। तीसरे दिन सात नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को शाम के समय अर्घ्य दिया जाएगा फिर अगले दिन आठ नवंबर को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियां व्रत खोलती हैं। चार दिन तक उत्साह व उमंग के साथ छठ पर्व चलता है।
पूजा-विधि:
छठ पूजा का पहला दिन- छठ पूजा के पहले दिन को नहाय खाए कहा जा ता है। छठ पूजा के पहले दिन स्नान करने के बाद पूजा की जाती है और फिर चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
छठ पूजा का दूसरा दिन- छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस पावन दिन महिलाएं लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाती हैं और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं।इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि खरना पूजा के बाद घर में छठी मईया का आगमन हो जाता है।
छठ पूजा का तीसरा दिन- छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं। इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्यदिया जाता है।
छठ पूजा का चौथा दिन- छठ पूजा के चौथे दिन उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सात या ग्यारह बार परिक्रमा की जाती है। इसके बाद व्रत तोड़ा जाता है।
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