छठ का प्रसाद मांग कर खाने का है विशेष महत्व, इसलिए महिलाएं लगाती हैं भखरा सिंदूर
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा का प्रसाद एक-दूसरे से मांग कर इसलिए खाया जाता है क्योंकि इससे सूर्यदेव और छठी मइया के प्रति आस्था प्रकट होती है, उनका मान-सम्मान बढ़ता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा का प्रसाद एक-दूसरे से मांग कर इसलिए खाया जाता है क्योंकि इससे सूर्यदेव और छठी मइया के प्रति आस्था प्रकट होती है, उनका मान-सम्मान बढ़ता है।
पं. विकास शास्त्रत्ती के अनुसार छठ पर्व का प्रसाद मांग कर खाने से शरीर से दुर्गुण दूर हो जाते हैं। छठी मइया और सूर्य भगवान प्रसन्न होकर कृपा बरसाते हैं। किसी भी जातक को छठ प्रसाद मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए। यदि कोई प्रसाद बांट रहा होता है तो उसे मना नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो लोग छठ प्रसाद लेने से मना करते हैं या फिर लेकर कहीं रख देते हैं। उनसे सूर्यदेव और छठी माता नाराज हो जाती है।
इसलिए महिलाएं लगाती हैं भखरा सिंदूर-
छठ पूजा में महिलाएं विशेष प्रकार से सिंदूर लगाती हैं, उसे भखरा सिंदूर कहते हैं। इसके पीछे की वजह भी बेहद खास है। भखरा सिंदूर की तुलना सूर्योदय के समय होने वाली लालिमा से की गई है। भखरा सिंदूर दिखने में हल्के नारंगी रंग का होता है। इसके लगाने से उम्मीद की जाती है कि जिस तरह सूर्य की किरणें हर दिन लोगों के जीवन में नया सबेरा और ऊर्जा लेकर आती है। उसी तरह भखरा सिंदूर लगाने से दुल्हन के वैवाहिक जीवन में नया सवेरा आए। सनातनी शास्त्रत्तें में कहा गया है कि जो महिलाएं अपनी मांग में लंबा सिंदूर लगाती हैं उनके पति को समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में सुहागिनें मांग में नारंगी सिंदूर लगाती है। मान्यता है कि नारंगी सिंदूर नाक से सिर तक लंबा लगाया जाता है। ऐसा करने से पति की आयु में वृद्धि होती है। पति को सफलता भी मिलती है।
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