दृष्टिकोण में बदलाव से जीवन में सकारात्मकता आती है
- नजरिये में बदलाव लाने की क्षमता एक अत्यंत ताकतवर और प्रभावशाली उपकरण है, जो हमें जीवन में रोजमर्रा की परेशानियों से निपटने में मदद करता है। चीजों को अलग नजरिये से देखने की क्षमता बहुत लाभकारी होती है। इसके अभ्यास से व्यक्ति कुछ अनुभवों, कुछ त्रासदियों की मदद से दिमाग को शांत कर सकता है।
एक यूनानी दार्शनिक का शिष्य था, जिसे उसके गुरु ने तीन साल तक हर उस व्यक्ति को पैसे देने के लिए कहा, जो उसका अपमान करता था। जब परीक्षण की अवधि समाप्त हो गई तो गुरु ने उससे कहा, ‘अब तुम एथेंस जाकर ज्ञान प्राप्त कर सकते हो।’ जब शिष्य ने एथेंस में प्रवेश किया तो उसे द्वार पर एक ज्ञानी पुरुष बैठा मिला, जो हर आते-जाते व्यक्ति को अपमानित करता था। उसने शिष्य को भी अपमानित किया तो वह शिष्य जोर से हंसा। ज्ञानी पुरुष ने उससे पूछा, ‘मैं तुम्हारा अपमान कर रहा हूं तो तुम हंस क्यों रहे हो?’ शिष्य ने उत्तर दिया, ‘क्योंकि मैं इस तरह की बात के लिए लोगों को पैसे देता रहा हूं और तुम यह मुझे मुफ्त में दे रहे हो।’ ‘नगर के भीतर प्रवेश करो’, ज्ञानी पुरुष ने कहा, ‘यह नगर तुम्हारा है।’
नजरिये में बदलाव लाने की क्षमता एक अत्यंत ताकतवर और प्रभावशाली उपकरण है, जो हमें जीवन में रोजमर्रा की परेशानियों से निपटने में मदद करता है। चीजों को अलग नजरिये से देखने की क्षमता बहुत लाभकारी होती है। इसके अभ्यास से व्यक्ति कुछ अनुभवों, कुछ त्रासदियों की मदद से दिमाग को शांत कर सकता है। मनुष्य को समझना चाहिए कि हर बात और हर घटना के विभिन्न पहलू होते हैं। हर चीज सापेक्ष होती है। उदाहरण के लिए, मेरे मामले में, मैंने अपना देश खो दिया। उस दृष्टिकोण से यह बहुत दुख की बात है और इससे भी ज्यादा दुख की कई बातें हुई हैं। परंतु अगर मैं इसी बात को अलग नजरिये से देखूं तो मुझे लगता है कि एक शरणार्थी होने के दृष्टिकोण से किसी तरह की औपचारिकता, जश्न या नवाचार की जरूरत नहीं है। यदि स्थिति यथावत होती, अगर सब कुछ ठीक-ठाक होता तो बहुत-से अवसरों पर आप सिर्फ चलते रहते हैं; आप दिखावा करते हैं। परंतु जब आपके सामने निराशाजनक परिस्थितियां आती हैं तो दिखावा करने का समय नहीं मिलता। उस दृष्टिकोण से वह दुखभरा अनुभव मेरे लिए बहुत लाभकारी रहा है। शरणार्थी होने के नाते कई नए लोगों से भेंट होने के अवसर मिलते हैं। भिन्न-भिन्न धार्मिक परंपराओं और अलग-अलग व्यवसाय के लोग मिलते हैं, जिनसे, यदि मैं अपने देश में रह रहा होता, तो कभी नहीं मिला होता। इस नजर से यह बहुत ज्यादा लाभदायक रहा है।
ऐसा देखने में आता है कि जब कभी समस्याएं आती हैं तो हमारा दृष्टिकोण संकीर्ण हो जाता है। हमारा पूरा ध्यान उस समस्या के बारे में चिंता करने पर होता है और हमें ऐसा लगता है मानो उस तरह की समस्या सिर्फ हमें हो रही है। इससे व्यक्ति अपने आप में डूब जाता है, जिसके कारण समस्या और बढ़ जाती है। जब ऐसा होता है, तो मेरे खयाल से चीजों को अलग नजरिये से देखने से काफी मदद मिलती है, जैसे यह सोचना कि ऐसे बहुत-से लोग हैं, जिन्होंने इस तरह की समस्या का सामना किया है और जिन्हें इससे भी बुरे अनुभव हुए हैं। किसी विशिष्ट बीमारी या पीड़ा के समय इस तरह से अपने दृष्टिकोण को बदलना बहुत लाभकारी हो सकता है। ऐसा प्रयास करने से आपके जीवन में सकारात्मक सोच पैदा होती है।
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