चाणक्य नीति: इन दो चीजों का फल व्यक्ति को अकेले ही भोगना पड़ता है
- Chanakya Niti For Life: व्यक्ति को जीवन में कुछ चीजें अकेले ही झेलनी पड़ती है। एक श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने बताया है कि किन दो चीजों का फल व्यक्ति अकेले भोगता है। पढ़ें चाणक्य नीति-
Chanakya Niti: इंसान संसार में अकेला आता है और मृत्यु के बाद अकेला जाता है। व्यक्ति जन्म के बाद धर्म या अधर्म के रास्ते पर चलता है। धर्म का अर्थ यहां पुण्य और अधर्म का अर्थ पाप से है। आचार्य चाणक्य ने एक नीति में बताया है कि व्यक्ति अकेला ही पाप-पुण्य का फल भोगता है। जानें क्या कहती है ये चाणक्य नीति-
आचार्य चाणक्य की नीति के पांचवें अध्याय में श्लोक वर्णित है-'जन्ममृत्युं हि यात्येको भुनक्त्येकः शुभाशुभम्। नरकेषु पतत्येक एको याति परां गतिम्'
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जिस प्रकार मनुष्य अकेला ही जन्म लेता है, उसी तरह अकेले ही उसे पाप और पुण्य का फल भी भोगना पड़ता है। अकेले ही कई तरह के कष्ट भोगने पड़ते हैं यानी अकेले ही उसे नरक का दुख उठाना पड़ता है और अकेला ही वह मोक्ष को प्राप्त होता है।
मनुष्य के जन्म और मृत्यु के चक्र में उसका कोई साथी नहीं होता है। वह जब जन्म लेता है तब भी अकेला होता है। जब उसकी मृत्यु होती है तब भी वह अकेला ही होता है। ऐसे में बार-बार जन्म लेते और मरने के चक्र में मनुष्य को अकेले ही भागीदारी करनी होती है।
चाणक्य ने इस श्लोक में व्यक्ति को अकेले ही नरक में जाने की बात कही है। नरक का अर्थ यहां कुछ और नहीं बल्कि व्यक्ति द्वारा भोगे जाने वाले कष्टों का नाम है। व्यक्ति अकेला ही इन कष्टों को भोगने के लिए मजबूर है। चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति के कष्ट में सहानुभूति सिर्फ जताई जा सकती है, लेकिन उसका दुख या दर्द बांटा नहीं जा सकता है।
चाणक्य ने इस श्लोक में संकेत दिया है कि सब अकेले ही करना है, इसलिए उत्तरदायित्व को निभाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। दूसरों की ओर क्यों देखना? दूसरों का सहारा लेने की आदत से मुक्त रहें, यही उत्तम है।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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