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Budh Pradosh Vrat Katha: यहां पढ़ें बुध प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा

  • Budh Pradosh Vrat Katha: प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। प्रदोष व्रत के दिन शुभ मुहूर्त में भगवान शंकर की पूजा करने के बाद व्रत कथा का पाठ किया जाता है। पढ़ें बुध प्रदोष व्रत की कथा-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तानWed, 13 Nov 2024 08:41 AM
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Budh Pradosh Vrat katha: हर महीने कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस समय कार्तिक मास चल रहा है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को बुध प्रदोष व्रत का संयोग बना है। बुध प्रदोष व्रत 13 नवंबर 2024, बुधवार को है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। इसके बाद शाम को पूजन के समय व्रत कथा को पढ़ा या सुना जाता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत कथा पाठ के बाद ही व्रत संपूर्ण होता है। यहां पढ़ें बुध प्रदोष व्रत की कथा-

पौराणिक कथा के अनुसार, एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ। विवाह के दो दिन बाद उसकी पत्नी मायके चली गई। कुछ दिनों के बाद वह पुरुष अपनी पत्नी को वापस लेने के लिए गया। बुधवार को जब वह पत्नी को लेकर लौटने लगा तब ससुराल पक्ष ने उसे रोकने की कोशिश की, कहा विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता। लेकिन वह नहीं माता और पत्नी के साथ बैलगाड़ी में चल पड़ा। विवश होकर सास ससुर ने अपने जमाई और पुत्री को भारी मन से विदा किया।

नगर के बाहर पहुंचने पर पत्नी को प्यास लगी। पुरुष लोटा लेकर पानी की तलाश में चल पड़ा। पत्नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई। जब थोड़ी देर बाद पुरुष पानी लेकर वापस आया तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी से हंस-हंसकर बात कर रही है और लोटे से पानी पी रही है। यह देखकर वह क्रोधित हो गया।

जब वह पास पहुंचा तो उसने देखा कि उस आदमी की शक्ल उसकी तरह ही है। पत्नी भी सोच में पड़ गई है। दोनों पुरुष झगड़ने लगे। धीरे धीरे वहां भीड़ एकत्रित हो गई और सिपाही भी आ गए। हमशक्ल आदमियों को देखकर वे भी हैरान हो गए। उन्होंने स्त्री से कहा कि उसका पति कौन है?

स्त्री किंकर्तव्यविमूढ़ हो गई। तब पुरुष भगवान शंकर से प्रार्थना करने लगा कि हे भगवान हमारी रक्षा करना। मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई मैंने सास-ससुर की बात नहीं मानी और बुधवार को पत्नी को विदा करा लिया। मैं भविष्य में ऐसा बिल्कुल भी नहीं करुंगा।

जैसे ही पुरुष की प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा व्यक्ति अंतर्ध्यान हो गया। पति-पत्नी सकुशल अपने घर पहुंच गए। उसके बाद पति-पत्नी ने नियमपूर्वक बुध प्रदोष व्रत करने लगे।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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