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Pradosh Vrat 2024: सिद्धि व रवि योग में प्रदोष व्रत कल, जानें पूजा का मुहूर्त, सामग्री लिस्ट, मंत्र, पूजाविधि और आरती

  • Budh Pradosh Vrat 2024: दृक पंचांग के अनुसार, 13 नवंबर को प्रदोष व्रत है। यह विशेष दिन शिवजी की पूजा-आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 12 Nov 2024 01:33 PM
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Budh Pradosh Vrat 2024: देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत का दिन बेहद खास माना जाता है। हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन शिवजी पूजा-उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। दृक पंचांग के अनुसार, कल 13 नवंबर को दिन बुधवार को प्रदोष व्रत है। बुधवार के कारण इस व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। नवंबर माह के पहले प्रदोष पर 2 शुभ योग बन रहे हैं। जिससे इस दिन शिवजी की पूजा-अर्चना का महत्व कहीं अधिक बढ़ जाता है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की सही डेट, शुभ मुहूर्त, सामग्री लिस्ट, मंत्र,पूजाविधि और आरती...

कब है प्रदोष व्रत ?

दृक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 13 नवंबर को दोपहर 01:01 मिनट पर शुरू होगा और अगले दिन 14 नवंबर 2024 को सुबह 9:43 मिनट पर समाप्त होगा। प्रदोष काल पूजा मुहूर्त को ध्यान रखते हुए 13 नवंबर को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन रवि योग और सिद्धि योग बन रहे हैं।

प्रदोष काल पूजा मुहूर्त :शाम 5: 17 मिनट से लेकर रात 7: 56 मिनट तक प्रदोष काल पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।

पूजा सामग्री : अक्षत,बिल्वपत्र,धूप-दीप, फल, लौंग, इलायची,चंदन, शहद, दही, घी, धतूरा,रोली,गंगाजल, कपूर,फल,फूल

पूजाविधि :

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें।

इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें। मंदिर में दीप जलाएं।

शिवलिंग पर जल अर्पित करें और शिव-परिवार की विधिवत पूजा करें।

शिवजी के मंत्र 'ऊँ नमः शिवाय' का 108 बार जाप करें।

संभव हो तो प्रदोष व्रत का उपवास रखें और सायंकाल में शिव पूजा आरंभ करें।

शिव मंदिर जाएं या घर पर विधि-विधान से शिवजी की पूजा करें।

शिवलिंग पर बेलपत्र, आक के फूल,भांग, धतूरा समेत सभी पूजा-सामग्री अर्पित करें।

देवी-देवताओं के साथ शिवजी की आरती उतारें।

अंत में शिव-गौरी समेत सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें।

फिर पूजा के दौरान जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा-प्रार्थना मांगे।

शिवजी की आरती :

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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