बुद्ध ने नेत्रहीन व्यक्ति को तर्क से नहीं अनुभव से प्रकाश दिखाया
- Buddhaएक बार भगवान बुद्ध प्रवचन दे रहे थे। तभी वहां कुछ व्यक्ति एक नेत्रहीन व्यक्ति के साथ बुद्ध के पास आए। वह अंधा आदमी कोई साधारण इनसान नहीं था।
एक बार भगवान बुद्ध प्रवचन दे रहे थे। तभी वहां कुछ व्यक्ति एक नेत्रहीन व्यक्ति के साथ बुद्ध के पास आए। वह अंधा आदमी कोई साधारण इनसान नहीं था। वह एक महान शिक्षा शास्त्री और विद्वान था। वह तर्क करने में बहुत कुशल था। उसने अनेक विद्वानों को अपने तर्कों से पराजित किया था।
बुद्ध के पास आने पर वह उनसे भी तर्क-वितर्क करने लगा। तथागत को संबोधित करते हुए उसने कहा, ‘सभी कहते हैं कि इस सृष्टि में प्रकाश मौजूद है। लेकिन, मैं कहता हूं कि नहीं है। मेरा मानना है कि इस दुनिया में प्रकाश जैसी कोई चीज नहीं है। और, यदि प्रकाश जैसी कोई चीज है तो मुझे उसका आभास करवाएं ताकि मैं उसे छू कर महसूस कर सकूं। यदि यह स्वाद लेने की वस्तु है तो मैं इसका स्वाद ले सकूं। अगर यह सूंघने की कोई चीज है तो मैं इसे सूंघ सकूं। या फिर यह कोई ध्वनि जैसी कोई वस्तु है तो आप इसे ढोल की तरह पीटें ताकि मैं इसे सुन सकूं। मेरी यही चार इंद्रियां हैं, जिससे मैं किसी वस्तु को महसूस करता हूं। और, जिस पांचवीं इंद्री के बारे में लोग बात करते हैं, मेरे विचार में वह कोरी कल्पना है। किसी के पास दृष्टि नहीं है। मेरी सोच में तो सभी लोग भ्रमित हैं।’ तथागत समझ गए कि इस व्यक्ति को समझाना बहुत मुश्किल है क्योंकि प्रकाश को छू कर, चख कर, सूंघ कर या सुन कर महसूस नहीं किया जा सकता। यह व्यक्ति दूसरों को भ्रमित कह रहा है, जबकि यह खुद भ्रमित है। उसके पास नेत्र नहीं थे, लेकिन वह बुद्ध को चुनौती दे रहा था।
बुद्ध ने उससे कहा कि मैं कुछ साबित नहीं करूंगा। लेकिन मैं ऐसे वैद्य को जानता हूं, जो तुम्हारी नेत्रों की ज्योति को ठीक कर सकता है। तुम चाहो तो इसे मेरा तर्क कह सकते हो।
बुद्ध ने उसे वैद्य के पास भेजा। वैद्य के इलाज से छह महीने में ही उसकी आंखें ठीक हो गईं। उसे यकीन ही नहीं हुआ। वह खुशी से दौड़ता हुआ बुद्ध के पास पहुंचा और उनके पैरों पर गिर गया। और, बोला कि आपका मुझे वैद्य के पास भेजने का तर्क काम कर गया। इस पर तथागत ने कहा कि यह कोई तर्क नहीं था। अगर मैंने तुमसे तर्क किया होता तो मैं असफल हो जाता। क्योंकि कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिन्हें तर्क की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता। उन्हें केवल अनुभव से ही जाना जा सकता है। जैसे तुम्हारी आंखें ठीक होने पर तुमने प्रकाश का अनुभव किया और जान लिया कि प्रकाश क्या होता है।
अश्वनी कुमार
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