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भौम प्रदोष व्रत 15 अक्टूबर को, नोट कर लें पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट

  • हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 14 Oct 2024 09:20 AM
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हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। कहा जाता है इस व्रत को करने से लंबे समय के कर्ज से मुक्ति मिलती है। मंगलवार को आने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन देवी पार्वती की भी पूजा की जाती है। दिन भर भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है। प्रदोष व्रत के दिन निराहार रहकर संध्या काल में स्नान करने के बाद संध्या-वंदना के बाद भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है। इस समय आश्विन मास का शुक्ल पक्ष चल रहा है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 15 अक्टूबर को है। आइए जानते हैं, भौम प्रदोष व्रत पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट...

शुभ मुहूर्त-

आश्विन, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ - 03:42 ए एम, अक्टूबर 15

आश्विन, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त - 12:19 ए एम, अक्टूबर 16

प्रदोष काल- 05:51 पी एम से 08:21 पी एम

अवधि- 02 घण्टे 30 मिनट

प्रदोष व्रत पूजा-विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।

स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

अगर संभव है तो व्रत करें।

भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।

इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

भगवान शिव की आरती करें।

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

प्रदोष व्रत पूजा-सामग्री-

पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।

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