Bhaum Pradosh Vrat Katha: प्रदोष व्रत आज, यहां पढ़ें भौम प्रदोष व्रत कथा
- Bhaum Pradosh Vrat Katha: मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। आज धनतेरस पर भौम प्रदोष व्रत का संयोग बना है। पढ़ें भौम प्रदोष व्रत कथा यहां-
Bhaum Pradosh Vrat Katha: हर महीने के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष रखा जाता है। 29 अक्तूबर 2024, मंगलवार को कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। आज मंगलवार के दिन भौम प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। प्रदोष व्रत में व्रत कथा पढ़ने या सुनने के बाद ही व्रत पूर्ण माना जाता है। पढ़ें भौम प्रदोष व्रत कथा-
भौम प्रदोष व्रत कथा-
एक समय की बात है। एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। उसका एक बेटा था। वह वृद्धा हनुमान जी की उसापना करती थी। हमेशा हनुमान जी की पूजा विधिपूर्वक करती थी। मंगलवार को वह बजरंगबली की विशेष पूजा करती थी। एक बार हनुमान जी ने अपने भक्त उस वृद्धा की परीक्षा लेनी चाही।
वे एक साधु का वेश धारण करके उसके घर आए। उन्होंने आवाज लगाते हुए कहा कि कोई है हनुमान भक्त, जो उनकी इच्छा को पूर्ण कर सकता है। जब उनकी आवाज उस वृद्धा के कान में पड़ी, तो वह जल्दी से बाहर आई। उसने साधु को प्रणाम किया और कहा कि आप अपनी इच्छा बताएं। इस पर हनुमान जी ने उससे कहा कि उनको भूख लगी है, वे भोजन करना चाहते हैं, तुम थोड़ी सी जमीन लीप दो। इस पर उसने हनुमान जी से कहा कि आप जमीन लीपने के अतिरिक्त कोई और काम कहें, उसे वह पूरा कर देगी।
हनुमान जी ने उससे अपनी बातों को पूरा करने के लिए वचन लिया। तब उन्होंने कहा कि अपने बेटे को बुलाओ। उसकी पीठ पर आग जला दो। उस पर ही वे अपने लिए भोजन बनाएंगे। हनुमान जी की बात सुनकर वह वृद्धा परेशान हो गई। वह करे भी तो क्या करे। उसने हनुमान जी को वचन दिया था। उसने आखिरकार बेटे को बुलाया और उसे हनुमान जी को सौंप दिया।
हनुमान जी ने उसके बेटे को जमीन पर लिटा दिया और वृद्धा से उसकी पीठ पर आग लगवाई। वह वृद्धा आग जलाकर घर में चली गई। कुछ समय बाद साधु के वेश में हनुमान जी ने उसे फिर बुलाया। वह घर से बाहर आई, तो हनुमान जी ने कहा कि उनका भोजन बन गया है। बेटे को बुलाओ ताकि वह भी भोग लगा ले। इस पर वृद्धा ने कहा कि आप ऐसा कहकर और कष्ट न दें। लेकिन हनुमान जी अपनी बात पर अडिग थे। तब उसने अपने बेटे को भोजन के लिए पुकारा। वह अपनी मां के पास आ गया। अपने बेटे को जीवित देखकर वह आश्चर्यचकित थी। वह उस साधु के चरणों में नतमस्तक हो गई। तब हनुमान जी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और उसके अपना आशीर्वाद दिया।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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