Akshaya Navami 2024 : जानें अक्षय नवमी के दिन क्यों होती है आंवले की पूजा
- अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है। ये दिवाली से 8 दिन बाद पड़ती है। इस साल की अक्षय नवमी 10 नवंबर को है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए बेहद शुभ दिन माना गया है।

Akshaya Navami 2024 : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी मनाई जाती है। अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है। ये दिवाली से 8 दिन बाद पड़ती है। इस साल की अक्षय नवमी 10 नवंबर को है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए बेहद शुभ दिन माना गया है। धार्मिक मान्यतानुसार, अक्षय नवमी का वही महत्व है जो वैशाख मास की तृतीया यानी अक्षय तृतीया का है। शास्त्रों के अनुसार अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन द्वापर युग का आरंभ हुआ था। इस दिन आंवले की पूजा का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं, इस दिन आंवले की पूजा क्यों करते हैं-
आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहते हैं। एक बार मां लक्ष्मी पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए आईं तो उनकी इच्छा हुई कि भगवान शंकर व भगवान विष्णु की पूजा एक साथ की जाए। विष्णुजी को तुलसी अति प्रिय हैं व शंकर जी को बेल पत्र। इन दोनों वृक्षों के सभी गुण आंवले के वृक्ष में मौजूद हैं। अत: देवी लक्ष्मी ने आंवलेके वृक्ष की पूजा की, ताकि दोनों भगवान प्रसन्न हो जाएं। जिस दिन यह पूजा की गई, वह दिन कार्तिक की नवमी तिथि थी। तभी से हर वर्ष कार्तिक की नवमी को ये पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ में विद्यमान रहते हैं। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है।
अक्षय नवमी पूजा-विधि:
सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर अपने दाहिने हाथ में जल, अक्षत्, पुष्प आदि लेकर व्रत का संकल्प लें। व्रत संकल्प के बाद आप आंवले के पेड़ के नीचे पूरब दिशा की ओर मुंह करके बैठें। इसके बाद 'ऊँ धात्र्यैनम:' मंत्र से आवाहनादि षोडशोपचार पूजन करें। फिर नीचे लिखे मन्त्रों से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धारा गिराते हुए पितरों का तर्पण करें। पितरों का तर्पण करने के बाद आंवले के पेड़ के तने मेंसूत्र बांधना है। इसके बाद पितरों का तर्पण करने के बाद कपूर या गाय के घी से दीप जलाएं और आंवले के पेड़ की आरती करें।