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Akshaya Amla Navami : अक्षय या आंवला नवमी आज, नोट कर लें पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त से लेकर सबकुछ

  • अक्षय नवमी आज है। इस दिन भगवान विष्‍णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है। अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 10 Nov 2024 07:13 AM
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अक्षय नवमी आज है। इस दिन भगवान विष्‍णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है। अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्‍णु की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार आंवले के पेड़ में भगवान विष्‍णु का वास होता है। इस दिन आंवले के पेड़ की छांव में बैठना और उसके नीचे खाना बनाना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस भोजन का भोग सबसे पहले भगवान विष्‍णु को लगाया जाता है और फिर पूरे परिवार को खिलाया जाता है। इससे श्रद्धालुओं को श्री हरि का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है। ऐसी मान्‍यता भी है कि अक्षय नवमी के दिन किए जाने वाले पुण्‍य कार्य का अक्षय फल सभी को प्राप्‍त होता है और मां लक्ष्‍मी की कृपा प्राप्‍त होती है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से सुख-संपत्ति और आरोग्‍य की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि इस दिन किए जाने वाला जप, तप और दान से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ में भगवान विष्‍णु के साथ ही शिवजी का भी वास होता है। इसलिए इस दिन आंवले का दान और सेवन जरूर करना चाहिए।

अय नवमी पूजन मुहुर्त - 06:47 ए एम से 12:06 पी एम

अवधि - 05 घण्टे 19 मिनट्स

आंवले के पेड़ की पूजा क्यों होती है-

पौराणिक कथा के अनुसार, आंवले के पेड़ की उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से हुई थी। जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया, तो उन्होंने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी। राजा बलि ने भगवान विष्णु को तीन पग भूमि देने का वचन दिया, लेकिन भगवान विष्णु ने तीन पग में ही समस्त भूमि को माप लिया और राजा बलि को पाताल लोक में भेज दिया। राजा बलि की पत्नी विंध्यावली ने भगवान विष्णु से अपने पति की मुक्ति के लिए प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि आंवले के पेड़ की पूजा से राजा बलि की मुक्ति होगी। तब से ही इस पावन दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विधान है।

पूजा-विधि:

  • स्नान के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे सफाई करें।
  • हल्दी, चावल और कुमकुम या सिंदूर से आंवलेकी पूजा करें।
  • शाम में आंवले के वृक्ष के नीचे घी का दीपक प्रज्वलित करें और वृक्ष की सात परिक्रमा कर प्रसाद वितरण करें। वहीं वृक्ष के नीचे भोजन भी करें।

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