कैसे '37974 वोटों' ने कांग्रेस को दिलाई हिमाचल की सत्ता? भाजपा को चुभेंगे ये दिलचस्प आंकड़े
2017 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 48.79 प्रतिशत के वोट शेयर के साथ 44 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को 21 सीटें मिली थीं और दोनों दलों के वोट शेयर में अंतर 7.11 प्रतिशत था।
Himachal Pradesh Results Stats: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के कुछ बेहद दिलचस्प आंकड़े सामने आए हैं जो भाजपा को परेशान कर सकते हैं। कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को घोषित हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 68 में से 40 सीटें जीत हर भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया। वहीं भाजपा को महज 25 सीटें मिली हैं। आज चुनाव परिणाम घोषित होने के साथ ही राज्य में 1985 से चली आ रही परंपरा कायम रही है, जहां हर पांच साल में सत्तारूढ़ दल बदल जाता है। कांग्रेस ने 68 सदस्यीय विधानसभा में 40 सीट जीतकर 43.90 प्रतिशत वोट हासिल किया। वहीं 43 फीसदी वोट हासिल करने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केवल 25 सीट जीतने में सफल रही, कई सीट पर कम मतों के अंतर से जीत-हार तय हुई।
भाजपा और कांग्रेस के बीच वोट शेयर का अंतर बहुत कम
इस लिहाज से हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने भगवा पार्टी से महज 37,974 वोट ज्यादा पाकर बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया। कांग्रेस को 43.9 फीसदी वोट शेयर (18,52,504 वोट) के साथ 40 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी 43 फीसदी वोट शेयर (18,14,530 वोट) के साथ 25 सीटें जीतने में कामयाब रही और वोट शेयर का अंतर दोनों के बीच केवल 0.9 प्रतिशत अंक था, जो 1951 के बाद सबसे कम है। हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी विजयी हुए। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा है।
कांग्रेस का औसत जीत का अंतर 5,784 वोट
2017 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 48.79 प्रतिशत के वोट शेयर के साथ 44 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को 21 सीटें मिली थीं और दोनों दलों के वोट शेयर में अंतर 7.11 प्रतिशत था। 2022 के नतीजों पर गौर करें तो पता चलता है कि 40 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस का औसत जीत का अंतर (5,784 वोट) 25 सीटों पर भाजपा के जीत के अंतर (7,427 वोट) से कम था। सभी 68 सीटों पर जीत का औसत अंतर 6,575 मत दर्ज किया गया।
सबसे ज्यादा वोटों से जीते सीएम जय राम ठाकुर
राज्य भर में सबसे अधिक जीत का अंतर सिराज निर्वाचन क्षेत्र में दर्ज किया गया, जहां मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कांग्रेस के चेत राम को 38,183 मतों के अंतर से हराया। सबसे कम अंतर भोरंज में दर्ज किया गया, जहां कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश कुमार ने भाजपा के डॉ अनिल धीमान को सिर्फ 60 मतों से हराया।
कुल मिलाकर, आठ सीटों का फैसला 1,000 वोटों से कम के अंतर से हुआ और इनमें से पांच सीटों- भोरंज (60), शिलाई (382), सुजानपुर (399), रामपुर (567) और श्री रेणुकाजी (860) पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। जबकि बीजेपी ने तीन सीटें जीतीं - श्री नैना देवीजी (171), बिलासपुर (276) और दरंग (618) पर जीत हासिल की। 68 सीटों में से सात सीटों का फैसला 1,000-2,000 मतों के अंतर से हुआ। इन सीटों में से कांग्रेस ने तीन (भटियात, लाहौल-स्पीति और नाहन) जीतीं, जबकि बीजेपी ने चार (बल्ह, ऊना, जसवां-परागपुर और सरकाघाट) जीतीं। केवल 13 सीटों का फैसला 10,000 से अधिक मतों के अंतर से हुआ था।
1951 के बाद से सबसे निचले स्तर वोट शेयर का अंतर
2022 के चुनावों में विजयी और उपविजेता दलों के वोट शेयर में अंतर 1951 के बाद से सबसे निचले स्तर (0.9 प्रतिशत) पर दर्ज किया गया है। राज्य में अब तक 1951 से 2022 तक 14 विधानसभा चुनाव हुए हैं और इस दौरान 1972 के विधानसभा चुनावों में विजेता और उपविजेता दलों के बीच अधिकतम अंतर 45.49 प्रतिशत दर्ज किया गया था।
भाजपा और कांग्रेस ने सभी 68 सीट पर चुनाव लड़ा था, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) ने 67 सीट पर, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 53 और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 11 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। आप अपना खाता खोलने में विफल रही, जबकि माकपा भी कोई सीट नहीं जीत पाई और ठियोग से उसके मौजूदा विधायक भी हार गए। आप को 1.10 फीसदी, माकपा को 0.66 फीसदी, बसपा को 0.35 फीसदी और निर्दलीय व अन्य को 10.39 फीसदी, जबकि ‘नोटा’ को 0.59 फीसदी वोट मिले।
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