रिवाज नहीं तोड़ पाई जयराम सरकार, ओपीएस सहित इन मुद्दों की वजह से हिमाचल प्रदेश में भाजपा की हार
हिमाचल प्रदेश के चुनावी नतीजों ने एक बार फिर सबको चौंका कर रख दिया। भाजपा की लाख कोशिशों के बाद भी बीजेपी हिमाचल में ‘रिवाज’ नहीं तोड़ पाई। कांग्रेस ने वापसी करते हुए 40 सीटें अपने नाम कर ली।
HImachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश के चुनावी नतीजों ने एक बार फिर सबको चौंका कर रख दिया। भाजपा की लाख कोशिशों के बाद भी बीजेपी हिमाचल में ‘रिवाज’ नहीं तोड़ पाई। तो दूसरी ओर, कांग्रेस ने वापसी करते हुए 40 सीटें अपने नाम कर ली।
जबकि, सत्तारूढ़ भाजपा को सिर्फ 25 सीटों से ही संतुष्ट होना पड़ा। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी-आप क्लिन बोल्ड होते हुए एक भी सीट नहीं जीत पाई, जबकि अन्य दलों ने तीन सीटें जीत दर्ज की है। मालूम हो कि 1985 से लेकर अभी तक हिमाचल प्रदेश में सरकार बदलती रही है।
चुनाव से पहले ही भाजपा को पूरी उम्मीद थी कि डबल इंजर की सरकार एक बार फिर हिमालच में कम खिलाएगी, जबकि कांग्रेस पार्टी ने वापसी का दावा ठोक दिया था। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) सहित बागियों की ताकत से भाजपा, और कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन, बागियों ने भाजपा को ज्यादा नुकसान पहुंचाया।
ओपीएस एक बड़ा चुनावी मुद्दा
राजनीतिक विशेषज्ञों की बात मानें तो पुरानी पेंशन और नई पेंशन स्कीम हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना था। 68 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश में कांग्रेस, और आप ने इस एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाते हुए सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला था। पंजाब और दिल्ली में सत्तारूढ़ आप का दावा है कि अगर सत्ता में आते हैं, तो राज्य में दोबारा पुरानी पेंशन योजना लागू की जाएगी। कांग्रेस ने भी अपने चुनावी वादों में ओपीएस को लागू करने का आश्वासन दिया था।
क्या है विरोध की वजह?
OPS यानी ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारी को अंतिम सैलरी का 50 फीसदी मिलती था और सरकार उन्हें पूरी राशि देती थी। अब न्यू पेंशन स्कीम यानी NPS में कर्मचारी को सैलरी और डीए का कम से कम 10 फीसदी पेंशन फंड में देना होता है। सरकार इन फंड में 14 फीसदी का योगदान देती है। बात में इन फंड्स को सिक्योरिटी, स्टॉक में निवेश किया जाता है और मूल्यांकन के आधार पर पेंशन तय होती है। अब विरोध इसलिए है कि सरकारी कर्माचारी OPS को सुनिश्चित लाभ मानते हैं। जबकि, NPS के तार बाजार से जुड़े हुए हैं। NPS 1 अप्रैल 2004 को लागू हुई थी।
बागियों ने बढ़ाई थीं मुश्किलें
विधानसभा चुनाव से पहले ही बागियों ने भाजपा और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दीं थीं। दोनों ही पार्टियों ने बागियों पर नकेल कसने को उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में बागियों ने कांग्रेस से ज्यादा भाजपा को परेशान किया है। हार के कारणों की मानें तो बागियों के चुनाव लड़ने से वोट बैंक पर इसका सीधा-सीधा असर पड़ा, जिसका खामियाजा भाजपा को चुकाना पड़ा।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सौंपा इस्तीफा
विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद भाजपा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। कांग्रेस की जीत की बधाई देने के बाद ठाकुर का कहना है कि संगठन हार के सही-सही कारणों की समीक्षा करेगी।
राहुल गांधी व प्रतिभ सिंह ने भी दी बधाई
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष प्रतीभा सिंह और राहुल गांधी ने भी कांग्रेस की जीत पर सभी प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं को बधाई दी। गांधी ने जनता को भरोसा दिलाया कि एक-एक वादा पूरा किया जाएगा। कहा कि प्रदेश में सुशासन और विकास के कार्यों में फोकस किया जाएगा।
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