वाघेला जूनियर की 'घर वापसी' से कांग्रेस को होगा फायदा? पूर्व CM पिता के लिए भी खुले दरवाजे
गौरतलब है कि महेंद्र सिंह ने 2017 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। महेंद्र सिंह जुलाई 2018 में सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हुए और उन्होंने महज तीन महीने बाद अक्टूबर में इस्तीफा दे दिया था।
पूर्व कांग्रेसी नेता महेंद्र सिंह वाघेला की 'घर वापसी' हो चुकी है। वाघेला के कांग्रेस में वापस आने के पीछे और भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। दरअसल गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महेंद्र सिंह वाघेला के पिता शंकरसिंह वाघेला भी घर वापसी कर सकते हैं। शंकरसिंह वाघेला गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 2017 में, महेंद्र सिंह वाघेला ने अपने पिता, शंकर सिंह वाघेला के नक्शेकदम पर चलते हुए कांग्रेस छोड़ी थी। यह माना जाता था कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि पिता बेटे के राजनीतिक करियर को मजबूत करना चाहते थे।
महेंद्र सिंह उस समय अरावली जिले के बयाद से कांग्रेस विधायक थे। वे उन 14 विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने राज्यसभा चुनाव से पहले इस्तीफा दे दिया था। इन विधायकों में महेंद्र सिंह के पिता भी शामिल थे जो उस समय गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता भी थे। इन्होंने अगस्त 2017 में भाजपा के एक उम्मीदवार के पक्ष में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी और बाद में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, इसके बावजूद कांग्रेस उम्मीदवार दिवंगत अहमद पटेल ने भाजपा के बलवंत सिंह राजपूत को हरा दिया था।
हालांकि अब तमाम गिले शिकवों के बाद, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला के पुत्र महेंद्र सिंह वाघेला राज्य विधानसभा चुनाव से पहले शुक्रवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस की गुजरात इकाई के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने यहां पार्टी मुख्यालय में 58 वर्षीय पूर्व विधायक का स्वागत किया। महेंद्र सिंह वाघेला ऐसे समय में कांग्रेस में शामिल हुए हैं जब गुजरात में दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह बिना किसी अपेक्षा के कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं और अगर पार्टी चाहेगी तो वह चुनाव लड़ेंगे।
उत्तर गुजरात में बायद से 2012 से 2017 तक कांग्रेस विधायक रहे महेंद्र सिंह ने विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले अगस्त 2017 में पार्टी छोड़ दी थी और बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी नेतृत्व यह तय करेगा कि मैं चुनाव लडूंगा या नहीं। मैं बिना किसी अपेक्षा के कांग्रेस में शामिल हुआ हूं। मैंने भाजपा में शामिल होने के तुरंत बाद उसे छोड़ दिया था क्योंकि मैं सहज नहीं था और यही वजह है कि मैं उनके किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ था।’’ गौरतलब है कि महेंद्र सिंह ने 2017 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। महेंद्र सिंह जुलाई 2018 में सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हुए और उन्होंने महज तीन महीने बाद अक्टूबर में इस्तीफा दे दिया था।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी आलाकमान ने शंकरसिंह के लौटने के संकेतों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि बेटे की वापसी पार्टी में शंकर सिंह के लिए "पिछले दरवाजे से प्रवेश" का प्रतीक है। उनके वक्तव्य कौशल को देखते हुए, उनसे महेंद्रसिंह के लिए प्रचार करने की भी उम्मीद की जा रही है अगर वे चुनाव लड़े तो। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उनके पास एक अच्छा मौका है। उनके पूर्व निर्वाचन क्षेत्र बयाद पर महेंद्रसिंह के टिकट के लिए विचार किया जा रहा है। अन्य विकल्पों में देहगाम, अब्दासा या यहां तक कि गांधीनगर भी शामिल हैं।
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