गुजरात की कई सीटों पर भाजपा को कभी नहीं मिली थी जीत, इस बार पलट गए सारे समीकरण
गुजरात की ऐसी कई सीटें हैं जिनपर आज से पहले भाजपा ने कभी जीत नहीं हासिल की थी। हालांकि इस बार सारे समीकरण पलट गए। आदिवासी बहुल सीटों पर भी भाजपा को बड़ी सफलता मिली है।
गुजरात में भाजपा ने इस बार ऐतिहासिक जीत हासिल की है। इस परिणाम ने सारे राजनीतिक पंडितों और एग्जिट पोल को गलत साबित कर दिया है। इस बार भाजपा ने उन सीटों पर भी जीत हासिल कर ली है जिसपर भगवा पार्टी अपना झंडा पहले कभी नहीं लहरा पाई। इसका मतलब है कि जाति या वर्ग के आधार पर जो भी गणित लगाई जाती है वह सारी भाजपा की आंधी के आगे टिक नहीं पाई। इन सीटों पर ना तो भाजपा जीत पाई और ना ही इसका पहले का अवतार जनसंघ। नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भी भाजपा गुजरात में ऐसी जीत नहीं दर्ज कर पाई।
इन सीटों में आनंद जिले की बोरसाड, भरूच की झगड़िया, तापी की व्यारा, दाहोद की गरबाड़ा, खेड़ा की महुधा, आनंद की अंकलाव, अहमदाबाद की दानीलिमड़ा सीटें शामिल हैं। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर शाम 5 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक इन सीटों पर भी इस बार भाजपा हावी है।
बोरसाड सीट की बात करें तो यहां से भाजपा के रमनभाई भीखाभाई सोलंकी ने कांग्रेस के राजेंद्र सिंह को 11165 वोटों से हरा दिया। महुधा सीट पर भाजपा के संजय सिंह ने कांग्रेस के इंद्रजीत सिंह को हराया। झगड़िया सीट पर भाजपा के रितेश कुमार वसवा निर्दलीय प्रत्याशी छोटूबाई वासवा पर भारी साबित हुए। व्यारा सीट पर भाजपा के कोकानी मोहनभाई आम आदमी पार्टी के बिपिनचंद्र चौधरी को पीछे छोड़ दिया। गरबाड़ा सीट पर भाजपा भाभोर रमेशभाई ने कांग्रेस की चंद्रिकाबेन को 27825 वोट से हरा दिया। अंकलव सीट पर कांग्रेस के अमित चावड़ा बहुत ही कम अंतर से भाजपा के गुलाबसिंह के आगे चल रहे थे। दानीलिमडा सीट पर भाजपा के शैलेश परमार ने कांग्रेस के नरेशभाई को हराया।
इस सीट पर एक ही बार जीती थी भाजपा
अरावली जिले में भिलोड़ा सीट पर भाजपा ने केवल 1995 में जीत हासिल की थी। यहां भी इस बार भाजपा ने फिर से बाजी मार ली हैए। इसके अलावा भी जसदान, धोराजी और दांता जैसी सीटें हैं जहां भाजपा बहुत कम ही जीत पाई है। गुजरात में इस बार आदिवासियों ने भी भाजपा का समर्थन किया है। पीएम मोदी ने भी कहा कि आदिवासियों का भाजपा को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा, ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि वे देख रहे हैं कि भाजपा उनकी उम्मीदें पूरी कर रही है।
क्यों बदल गए सीटों के समीकरण
केवल हिंदुत्व के भरोसा भाजपा दलितों और आदिवासियों व मुसलमानों का समर्थन नहीं जुटा सकती थी। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी के रीचआउट प्रोग्राम कारगर साबित हुए। 2017 के बाद से ही भाजपा ने आदिवासी बहुल सीटों पर अपनी पहुंच बढ़ाई। 2017 में आदिवासी सीटों पर भाजपा ने 8 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस ने 15 सीटें जीती थीं। हालांकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा की इतनी बड़ी जीत और समीकरण फेल होने के पीछे आम आदमी पार्टी भी वजह है जिसने कांग्रेस के वोट में भी सेंध लगाई।
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