पटना साहिब विधानसभा : BJP के नंद किशोर यादव ने कांग्रेस के प्रवीण कुशवाहा को हराया
बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर हुए चुनावों के परिणाम आने लगे हैं। बिहार सरकार के पथ निमार्ण विभाग मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता नंदकिशोर यादव पटना साहिब विधानसभा सीट से जीत चुके हैं। इस सीट...
बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर हुए चुनावों के परिणाम आने लगे हैं। बिहार सरकार के पथ निमार्ण विभाग मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता नंदकिशोर यादव पटना साहिब विधानसभा सीट से जीत चुके हैं। इस सीट पर नंदकिशोर का सीधा मुकाबला महागठबंधन के उम्मीदवार प्रवीण कुशवाहा से था। भारतीय जनता पार्टी के नन्द किशोर यादव ने कांग्रेस के प्रवीण सिंह को 18,662 वोटों से हराया है। आखिरी राउंड की गिनती के बाद नंद किशोर यादव को 91157 वोट और प्रवीण सिंह को 72,595 वोट मिले थे।
पटना साहिब विधानसभा सीट बिहार के मगध क्षेत्र का हिस्सा है। वर्ष 2015 के चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के नंद किशोर यादव ने जीत हासिल की थी, जिन्हें 46.9 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। पटना साहिब सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में 45.4 प्रतिशत वोट पाकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रत्याशी संतोष मेहता दूसरे स्थान पर रहे थे।
वर्ष 2015 के चुनाव में इस सीट पर कुल मतदाता 3,39,000 थे, जिनमें से 55.3 फीसदी ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। वर्ष 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल 292 मतदाताओं में से 45.9 प्रतिशत ने मताधिकार का प्रयोग किया था। उस समय कुल वैध मतों में से 68.1 फीसदी वोट हासिल कर भाजपा प्रत्याशी नंद किशोर यादव ने कांग्रेस उम्मीदवार परवेज़ अहमद को पराजित किया था, जिन्हें 19.4 प्रतिशत मत मिले थे।
पटना साहिब सीट का राजनीतिक इतिहास
बिहार की सबसे प्रमुख सीट पटना साहिब विधानसभा प्रदेश की सबसे पुरानी सीटों में से भी एक है। पहले इसका नाम पटना ईस्ट विधानसभा सीट हुआ करता था। 1957 में पहली बार चुनाव हुआ और शुरुआती दो चुनाव कांग्रेस के खाते में रहे, लेकिन उसके बाद से यहां जनसंघ ने अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी। फिर कांग्रेस ने वापसी की, बीच में जनता पार्टी भी आई, लेकिन 1995 में यहां भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की और तब से अबतक ये सीट भाजपा के पास ही है।
जातीय समीकरण
इस सीट की जातीय समीकरण पर नजर डालें तो यहां वैश्य समाज का दबदबा रहता है, जिनके करीब 80 हजार के वोटर हैं। उसके बाद कोइरी, कुर्मी और मुस्लिम मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं। वहीं यादव वोटर भी निर्णायक साबित होते रहे हैं। इस सीट पर पहली बार 1957 में हुए चुनाव में 40.57% मतदान हुआ था।
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