बच्चा करे जिद तो ऐसे संभाले

शोध कहते हैं कि 37 प्रतिशत बच्चे ऐसे होते हैं, जिनका व्यवहार सार्वजनिक जगहों पर संभालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे बच्चे अपनी बात मनवाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। हो सकता है कि वो जमीन पर लेट...

हिन्दुस्तान फीचर टीम नई दिल्लीFri, 22 Dec 2017 04:39 PM
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शोध कहते हैं कि 37 प्रतिशत बच्चे ऐसे होते हैं, जिनका व्यवहार सार्वजनिक जगहों पर संभालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे बच्चे अपनी बात मनवाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। हो सकता है कि वो जमीन पर लेट जाएं, चिल्लाने लगें या फिर इधर-उधर भागने लगें। वो लगातार कुछ-न-कुछ खरीदवाने की भी जिद करते हैं। यह जिद लगभग 80 प्रतिशत बच्चे करते हैं। 

कहीं भी समझाना शुरू न करें
आज कपड़े लेने गईं, तो बच्चे ने आपके हिसाब से ड्रेस तो ले ली, लेकिन वहां उसने आप से बहस भी बहुत की। ऐसे समय और आप क्या करती हैं? तुरंत डांटने लगती हैं। अगर आप ऐसा करती हैं तो यह गलत है। डांट और मार किसी बात का हल नहीं है। क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आराधना कहती हैं कि आप बच्चे के साथ जिस वक्त भी आराम से बैठती हैं, उस वक्त उससे उसकी गलत हरकतों के बारे में बात करें। यह वक्त रात में सोने से पहले का भी हो सकता है, तो सुबह बच्चे के स्कूल जाने से पहले का भी। इसके अलावा उसको स्कूल छोड़ने जाती हैं तो उस वक्त भी आप बच्चे को उसकी गलती समझा सकती हैं। पर, ऐसा कभी भी चलते-फिरते या कोई दूसरा काम करते हुए न करें।
सख्त हो जाइए
डॉ. आराधना एक उदाहरण देती हैं। वो बताती हैं कि एक बच्चा है, जिसके पिता उसे ढेरों सामान सिर्फ इसलिए दिलवाते हैं ताकि वो परेशान न करे। जब उन्हें टोका जाता है तो वो कहते हैं, सामान न मिलने पर बच्चा बहुत ज्यादा शैतानी करने लगता है। वो खुद को भी नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चे की जिद के कारण उसे वो सब दिला दिया जाता है  जिसको इस्तेमाल करने की उसकी अभी उम्र भी नहीं है, जैसे 30 हजार रुपये का फोन। अगर आपका बच्चा इतनी ज्यादा जिद कर रहा है तो इसके लिए आप लोग जिम्मेदार हैं। अगर आप हर बार बच्चे की जिद पूरी करेंगी तो उसे इसकी आदत लग जाएगी। जब बच्चे को बाहर लेकर जाएं तो उसकी मांगी पांच चीजें उसे दिलवाने की जगह उसे सिर्फ एक चीज दिलवाने पर अड़ी रहें। धीरे-धीरे उसकी यह आदत सुधर जाएगी। 
स्कूल टीचर करेगी मदद
स्कूल टीचर की बात बच्चे अकसर मान लेते हैं। जब बच्चा सार्वजनिक जगहों पर ज्यादा परेशान करने लगे तो इससे छुटकारा पाने के लिए बच्चे की स्कूल टीचर से बात करें। एक समय के बाद बच्चे के ऊपर माता-पिता की बातों का असर कम होने लगता है, ऐसे में टीचर की बातें प्रभावी साबित होंगी।
छोटी मोटी धमकियों के लिए रहें तैयार
धमकियां मतलब छोटी-छोटी वो बातें, जो ऐसे समय पर बेहद काम आ सकेंगी। ऐसा करके आप बच्चे को अपने लिए बेहतर चुनाव करने का विकल्प देती हैं। बच्चे अपने फायदे के हिसाब से चुनेंगे, पर इस दौरान आपको अपनी कही बात पर टिके रहना है। जैसे आप बेटे के साथ बाजार गईं हैं, पर वो तो एक के बाद एक चीजें मांगता ही जा रहा है। तो आप क्या करेंगी? उसको सब कुछ दिलवाती जाएंगी या फिर उसकी आदत सुधारने की कोशिश करेंगी? इस कोशिश में कुछ बातों से आपको मदद मिल सकती है: 

  • अगर अभी यह खिलौना खरीदोगे तो अगले15 दिनों तक बाहर जाना बंद।
  • अगर अब तुमने वापस झूले पर बैठने की जिद की, तो सोच लो अगले पूरे हफ्ते खेलने नहीं जाने दूंगी।
  • अगर रेस्टोरेंट में खाना खाने में इतनी आनाकानी करोगे तो अब तुम्हारे टिफिन मेंतुम्हारे पसंद का कुछ भी नहीं रखूंगी।
  • आप उसे उसका फेवरेट कार्टून न देखने देने की धमकी भी दे सकती हैं।

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