बच्चों में हेल्दी खाने की आदत के मंत्र
बच्चों के जेब खर्च का 70 फीसदी हिस्सा जंक फूड खाने में जाता है। सिर्फ बच्चे ही क्यों बाजार की ओर से गुजरते हुए आप भी समोसे और चाट से अपनी नजर नहीं हटा पातीं। आपके श्रीमान भी ऑफिस से आते हुए कुछ न कुछ...
बच्चों के जेब खर्च का 70 फीसदी हिस्सा जंक फूड खाने में जाता है। सिर्फ बच्चे ही क्यों बाजार की ओर से गुजरते हुए आप भी समोसे और चाट से अपनी नजर नहीं हटा पातीं। आपके श्रीमान भी ऑफिस से आते हुए कुछ न कुछ बाजार से नाश्ता बांध ही लाते हैं। चटपटी और तेल में तली चीजें हमारी जीभ को तो खूब भाती है, पर सेहत को तार-तार कर देती है। मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई बीपी, स्ट्रोक और दिल की बीमारियां इसी का नतीजा हैं। ये बीमारियां न हों और आपका परिवार हमेशा खुशहाल बना रहे इसके लिए जरूरी है कि आप बच्चों में खानपान की अच्छी आदतें डालें। यहां हम ऐसे ही कुछ उपायों के बारे में बात कर रहे हैं, जिनकी मदद से आप अपने बच्चों और परिवार के दूसरे सदस्यों में भी सेहतमंद खाने की आदतें विकसित कर सकती हैं।
खाने का मोल हो मालूम
बच्चों में खानपान की अच्छी आदतें विकसित करने के लिए यह जरूरी है उन्हें खाने का मोल पता हो। डाइटीशियन नेहा गुप्ता के अनुसार खाने में साफ-सफाई, घर का खाना और एक साथ परिवार के साथ खाना आदि जैसी बातें बच्चों का खाने के साथ एक स्वस्थ रिश्ता जोड़ती हैं। बच्चों को बताएं कि बाहर का खाना उन्हें कितना नुकसान पहुंचा सकता है। खाना खाने से पहले हाथ धोना क्यों जरूरी है और सबसे महत्वपूर्ण बात कि पूरे परिवार के साथ खाने का क्या लाभ है।
बार-बार न खिलाएं एक ही खाना
एक ही चीजें बार-बार खाकर लोग बोर हो जाते हैं। खासकर बच्चे टेस्ट को लेकर बहुत ही अड़ियल होते हैं। इसलिए हर दिन कुछ अलग बनाने की कोशिश करें। बच्चा एक बार न खाए तो उस पर जोर न डालें, थोड़ी देर बाद कोशिश करें। आप उसमें थोड़ा बदलाव भी कर सकती हैं। जैसे बच्चा अगर गाजर, सेब और केले का सलाद नहीं खा रहा है तो उसमें थोड़ा काला नमक डाल दें या जरा-सा चाट मसाला मिला दें।
रुटीन बनाएं
बड़ों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी रुटीन बहुत जरूरी है। इससे उनके मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास पर असर पड़ता है। समय पर सोने, सुबह जगने, मुंह-हाथ धोने, नाश्ता, लंच और डिनर का समय तय करें। लेकिन ये सारे नियम सिर्फ बच्चों के लिए ना हों। आप भी उतनी ही ईमानदारी से इन नियमों का पालन करें।
प्लानिंग बच्चों के साथ
बच्चे थोड़े बड़े हैं तो उनके साथ ही किचन के सामान की शॉपिंग करें। इस दौरान आपको उनकी पसंद जानने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही आप शॉपिंग के दौरान उन्हें पोषक तत्वों के बारे में भी बता पाएंगी। खाना बनाने की प्रक्रिया में भी बच्चों को शामिल करें। जिस भोजन की तैयारी में बच्चे खुद शामिल होते हैं, उन्हें उसे खाना अच्छा लगता है।
टीवी के सामने न हो खाना
टीवी या वीडियो देखते हुए खाना खाने के लिए प्रोत्साहित न करें और ना ही किसी भी कमरे में खाने की अनुमति दें। खाना खाने के लिए एक जगह तय करें जैसे डाइनिंग रूम या किचन में खाना खाएं। हो सकता है कि आपका बच्चा टीवी के सामने खाना आसानी से खा ले, लेकिन खाने पर पूरा ध्यान न होने की वजह से वह अपनी जरूरत से ज्यादा भी खा सकता है। आवश्यकता से ज्यादा खाना भी बच्चों के लिए अच्छा नहीं।
पानी पीने के लिए प्रेरित करें
जिस गति से बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है, उसे देखते हुए सॉफ्ट ड्रिंक, हेल्थ ड्रिंक्स, सोडा आदि से जितनी दूरी रखी जाए, बच्चों की सेहत के लिए उतना अच्छा होगा। इसलिए बच्चों को पानी पीने के लिए प्रेरित करें। एक दिन में अपनी जरूरत का 100 फीसदी पानी पीने वाले बच्चों में मोटापे की आशंका उन बच्चों से कम होती है, जो पानी की जगह सॉफ्ट ड्रिंक्स पीते हैं।
खाने में हो फाइबर
बच्चे जब ज्यादा फाइबर खाते हैं, उनमें वसा और चीनीयुक्त चीजें खाने की इच्छा कम होती है। फाइबर वाली खाद्य वस्तुओं में कम कैलोरी होती है और इनके पाचन में भी वक्त लगता है। फाइबर का एक फायदा यह भी है कि वह खून में ग्लूकोज और इंसुलिन के स्तर को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है।
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