सुकून चाहती हैं तो इसे जरूर पढ़ें
अपने प्रोफेशनल जीवन में आप आगे बढ़ना चाहती हैं, नए मुकाम हासिल करना चाहती हैं। लेकिन इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि आपकी महत्वाकांक्षाएं कहीं आपके जीवन को प्रभावित तो नहीं कर रहीं।...
अपने प्रोफेशनल जीवन में आप आगे बढ़ना चाहती हैं, नए मुकाम हासिल करना चाहती हैं। लेकिन इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि आपकी महत्वाकांक्षाएं कहीं आपके जीवन को प्रभावित तो नहीं कर रहीं। प्रोफेशनल लाइफ में आगे बढ़ने के साथ जिंदगी खुशगवार बनाए रखना बेहद जरूरी है, तभी आप वर्क-लाइफ बैलेंस स्थापित कर सकती हैं। कुछ बातें इस काम में आपकी मदद करेंगी:
स्मार्ट तरीके से काम करें
अगर आप अपनी नींद के घंटे घटाकर काम कर रही हैं तो कोई उसकी हिमायत नहीं करेगा। अमेरिकी अकादमी से संबद्ध मैट माइट अपने ब्लॉग वर्कलाइफ बैलेंस में कहते हैं, ‘आजकल लोग अपने दिमाग को ज्यादा काम करने और कम सोने के लिए अड्टयस्त बना रहे हैं, लेकिन यह चलन सही नहीं है। आपके लिए काम के घंटे जितने महत्वपूर्ण हैं, काम के बाद का समय उतना ही मूल्यवान है।’ मेंटल हेल्थ फाउंडेशन का सुझाव है कि काम ज्यादा नहीं, स्मार्ट होना चाहिए। इसके लिए वरीयता स्पष्ट होनी चाहिए और हर काम के लिए समय तय होना चाहिए। गैर जरूरी चीजों में नहीं उलझना चाहिए।
काम को घर न लाएं
ऑफिस से बाहर निकलने से पहले उन कामों की सूची बना लें, जो पूरे नहीं हो पाए। लेकिन काम की लिस्ट बनाने के बाद खुद को पूरी तरह ऑफिस के काम से आजाद कर लें। यही सोचें कि आप शाम को घर पर परिवार के साथ क्या करने जा रही हैं। अगर आप मानसिक तौर पर ऑफिस में ही फंसी हुई हैं तो एक गहरी सांस लें और इस बात का अहसास करें कि आप ऑफिस से बाहर आ गई हैं। इससे आपका मन शांत और स्थिर रहेगा।
ना कहना सीखें
अगर आप काम के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध रहेंगी, तो स्वाड्टााविक रूप से आप पर काम का बोझ बढ़ जाएगा। अगर आप आदतन काम के लिए हां कह देती हैं तो कुछ अतिरिक्त काम मिलने पर तुरंत हां कहने से पहले थोड़ा ठहर जाएं। आप कुछ देर बाद उस पर जवाब देने के लिए कह सकती हैं और इस दौरान इस बात पर विचार कर सकती हैं कि आपको हां कहना चाहिए या नहीं। अगर हां कहना चाहती हैं, तो अच्छी बात है लेकिन अगर ना कहने की इच्छा है, तो ना ही कहें और अपनी प्रतिक्रिया देने से पहले स्वयं कई बार ना बोलने का अड्टयास करें।
काम के लिए ‘शहीद’ होने की जरूरत नहीं
कुछ महिलाओं में यह प्रवृति होती है कि वे सब काम खुद ही कर लेना चाहती हैं। उन्हें इस भाव में जीना अच्छा लगता है कि वे व्यस्त हैं और उनके बारे में ज्यादा चर्चा होती है। इस बात को गंभीरता से सोचने की जरूरत है कि इससे दूसरे लोगों पर क्या प्रभाव पड़ रहा होगा। ज्यादातर लोग अत्यधिक काम यह सोचकर ले लेते हैं कि इससे दूसरों की नजर में उनका सम्मान बढ़ जाएगा। इस प्रवृति के साथ आपके सिर कितना बोझ बढ़ जाएगा, अगर आप इस बात पर विचार करें तो शायद आप ऐसा व्यवहार नहीं करेंगी।
हर वक्त आपाधापी अच्छी नहीं
चाहे ऑफिस हो, जिम हो या कोई पार्टी हो, क्या आप हर जगह दौड़ते-ड्टाागते पहुंचती हैं? आपको इस बात पर निगरानी रखने की जरूरत है। आपको खुद से यह पूछने की जरूरत है कि आपकी जिंदगी कैसी चल रही है। असल में जल्दबाजी करने वाले लोग एक चीज खत्म होने पर दूसरी चीज के लिए हड़बड़ी करने लगते हैं। लेकिन ऐसी स्थिति में आप अपने दोस्तों और अपने परिवार वालों के लिए समय कैसे निकालेंगी? आपाधापी में थकान होना ड्टाी स्वाड्टााविक है, इसीलिए हर वक्त भागमभाग से बचें।
रिटायरमेंट के बारे में सोचें
कुछ महिलाएं काम में इस कदर डूब जाती हैं कि उन्हें उसी में आनंद मिलता है। अगर आप पूरा वक्त काम में ही दे देंगी तो किसी बुरे हालात में फंस जाने मसलन, जॉब न कर पाने की स्थिति खड़ी हो जाने, जॉब छूटने या व्यवसाय नहीं चल पाने पर आप खुद को कैसे संभालेंगी? और इनसे इतर रिटायरमेंट के बाद आप समय किस तरह बिताएंगी, क्या आपने इस बारे में सोचा है? अगर रिटायरमेंट के बाद भी आप थोड़ा-बहुत काम करें तो आपके लिए अच्छा है, लेकिन आपको अपने कुछ और शौकों को पूरा करने के बारे में भी सोचना चाहिए ताकि रिटायरमेंट के बाद भी आप सक्रिय रह सकें।
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